नई दिल्ली| तीन नए कृषि कानूनों पर गतिरोध खत्म करने के लिए किसान संगठनों और सरकार के बीच जारी वार्ता में कोई हल नहीं निकल सका है. अब किसान संगठनों और सरकार के बीच चार जनवरी को बातचीत होगी.
रिपोर्टों के मुताबिक आज की बातचीत में गतिरोध तोड़ने की दिशा में कुछ सकारात्मक पहल देखने को मिली. सरकार का कहना है कि वह कानूनों में संशोधन करने के लिए तैयार है लेकिन कानूनों को वापस नहीं लेगी जबकि किसान संगठन तीनों कानूनों की रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े हैं. सरकार एमएसपी पर एक समिति बनाने पर सहमति हुई है.
बातचीत के बाद केंद्रीय मंत्री तोमर ने कहा, ‘आज की बैठक पूर्व की तरह बहुत अच्छे वातावरण में हुई. किसान नेताओं ने चार विषय चर्चा के लिए रखे उनमें दो विषयों पर आपसी रजामंदी सरकार और किसान नेताओं के बीच हुी है.
पहला पर्यावरण से संबंधी आध्यादेश में पराली को लेकर रजामंदी बनी है.बिजली कानून मसौदा बिल पर भी दोनों पक्षों में सहमति बनी है. पचास प्रतिशत रजामंदी हो गई है. तीन कानून को खत्म करने की मांग किसान संघों ने की.
हमने उन्हें बताया कि इसमें जहां भी परेशानी है उस पर चर्चा करने के लिए सरकार तैयार है. किसान संघ एमएसपी को कानूनी दर्जा देना चाहते हैं. कृषि कानूनों और एमएसपी पर सहमति नहीं बन पाई है. हम इस पर आगे चर्चा करेंगे.’
इससे पहले भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रमुख नरेश टिकैत ने कहा कि वार्ता में किसान संघ विजयी होकर लौटेगा. किसानों के लिए यह परीक्षा की घड़ी है. इस समय किसान यदि एकजुट नहीं होंगे तो आगे उनके लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी. टिकैत ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि विज्ञान भवन में सरकार के साथ बातचीत सही दिशा में चल रही है. उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि आज समस्या का समाधान निकल जाएगा. मैंने किसानों से जरूरत पड़ने पर अपना पैर थोड़ा पीछे खींचने के लिए भी कहा है.’
नए कृषि कानूनों पर गतिरोध तोड़ने के लिए विज्ञान भवन में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल के साथ बातचीत चल रही है. बातचीत के मध्य में किसानों के साथ तोमर और गोयल लंगर करते नजर आए हैं.
इससे बातचीत के सही दिशा में होने के संकेत मिले हैं. इस समस्या का समाधान निकालने के लिए किसान संगठनों और सरकार के बीच यह छठवें दौर की बातचीत चल रही है. अब तक पांच दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन समाधान नहीं निकल सका है.
छठवें दौर की बातचीत के लिए सरकार ने 30 दिसंबर की तारीख तय की थी. इसके पहले 29 दिसंबर को किसान संगठनों ने सरकार को पत्र लिखकर बातचीत का एजेंडा तय कर दिया. किसान संगठनों की चार प्रमुख मांगे हैं. किसानों ने तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने, एमएसपी को कानूनी दर्जा देने, बिजली कानून ड्राफ्ट रद्द करने और पराली से जुड़े कानून को खत्म करने की मांग की है. सरकार का कहना है कि वह एमएसपी पर लिखित आश्वासन देने के लिए तैयार है लेकिन वह कानूनों को खत्म नहीं करेगी.
किसान और सरकार के बीच छठवें दौर की बातचीत नौ दिसंबर को होनी थी लेकिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और किसान संगठनों के कुछ नेताओं के बीच एक औपचारिक बैठक में कोई सहमति नहीं बन पाने पर बातचीत टाल दी गई थी. पांचवें दौर की बातचीत पांच दिसंबर को हुई थी. इससे पहले की बैठकों में सरकार के साथ लंच करने की पेशकश को किसान संगठनों ने ठुकरा दिया था.