मसालों की दुनिया पर राज करने वालाअब बिकने की कगार पर पहुंच गया है. इसके खरीदारों में एफएमसीजी प्रोडक्ट्स की दुनिया की दिग्गज कंपनी हिन्दुस्तान यूनिलीवर का नाम सामने आया है.
खबरों के मुताबिक हिन्दुस्तान यूनिलीवर की महाशिया दी हट्टी यानी एमडीएच से बड़ी हिस्सेदारी खरीदने को लेकर बातचीत चल रही है. बताया जा रहा है कि एमडीएच की वैल्यू 10 से 15 हजार करोड़ रुपये के बीच हो सकती है.
भारत में ब्रांडेड मसालों का बाजार खासा बड़ा है. अनुमान है कि 2025 तक यह दोगुना होकर 50,000 करोड़ हो जाएगा. बता दें मसाला बाजार में रीजनल लेवल के ब्रांड्स का वर्चस्व है क्योंकि हर राज्य में खाना पकाने की आदतें और मसालों को लेकर उपभोक्ताओं की पसंद बदल जाती है. जिसे रीजनल लेवल के प्लेयर्स ही अच्छी तरह से कैश कर पाते हैं. ऐसे में देश का मसाला बाजार राष्ट्रीय स्तर की बड़ी कंपनियों के लिए हमेशा से मुश्किल रहा है.
नेशनल लेवल के मसाला ब्रांड की बात करें तो एमडीएच की हमेशा से अलग पहचान रही है. अपने अनोखे टीवी कमर्शियल्स के चलते एमडीएच ने देशभर में बड़े पैमाने पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है. टीवी कमर्शियल्स में महाशय धर्मपाल गुलाटी अपने अलग अंदाज में नजर आते थे.
खबरों के मुताबिक हिन्दुस्तान यूनिलीवर द्वारा एमडीएच की बड़ी हिस्सेदारी खरीदने के मुद्दे पर एक बाजार विशेषज्ञ का कहना है कि हिन्दुस्तान यूनिलीवर का नेटवर्क आला दर्जे का है, ऐसे में वह एमडीएच को उन क्षेत्रों में भी ले जा सकता है, जहां वह अब तक नहीं पहुंच सका है. हालांकि टियर 2 और टियर 3 शहरों में पैठ जमाने में हिन्दुस्तान यूनिलीवर को चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि वहां अभी भी स्थानीय मसाला ब्रांड्स का दबदबा है.
बता दें कि पाकिस्तान के सियालकोट में जन्मे गुलाटी ने अपने परिवार के मसाला व्यवसाय को न केवल संभाला बल्कि उसे देश के सबसे अच्छे पैकेज्ड मसाला निर्माताओं में से एक बना दिया. गुलाटी भारत-पाक बंटवारे के बाद महज 1,500 रुपये लेकर दिल्ली आए थे. कड़े संघर्ष के बाद उन्होंने बुलंदियों का छुआ. उनकी मृत्यु के बाद से इस ब्रांड को बेचने की चर्चा चल रही है.