पीएम मोदी ने नमामि गंगे के अंतर्गत उत्तराखण्ड में 521 करोड़ रूपये की परियोजनाओं का वर्चुअल लोकार्पण किया. इन परियोजनाओं के शुरू होने से उत्तराखण्ड से अब प्रतिदिन 15.2 करोड़ लीटर दूषित पानी गंगा नदी में नहीं बहेगा.
लोकार्पित किए गए प्रोजेक्ट में जगजीतपुर हरिद्वार में 230 करोड़ रूपये की लागत से बना 68 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, 20 करोड़ की लागत से बना 27 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, सराय हरिद्वार में 13 करोड़ की लागत से बना 18 एमएलडी क्षमता का अपग्रेडेड एसटीपी, चंडी घाट हरिद्वार में गंगा के संरक्षण और जैव विविधता को प्रदर्शित करता ‘गंगा संग्रहालय’, लक्कड़ घाट, ऋषिकेश में 158 करोड़ की लागत से बना 26 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चंद्रेश्वर नगर-मुनि की रेती में 41 करोड़ की लागत से बना 7.5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी, चोरपानी, मुनि की रेती में 39 करोड़ की लागत से बना 5 एमएलडी क्षमता का एसटीपी और बद्रीनाथ में 19 करोड़ की लागत से बना 1.01 एमएलडी क्षमता का एसटीपी शामिल हैं.
पीएम ने रोविंग डाउन द गंगेज (तवूपदह कवूद जीम हंदहमे) व ग्राम पंचायतों और पानी समितियों के लिए बनाइ्र गई मार्गदर्शिका का भी विमोचन किया. उन्होंने जल जीवन मिशन के लोगो (प्रतीक चिह्न) का भी अनावरण किया.
पीएम मोदी ने उत्तराखण्डवासियों को बधाई देते हुए कहा कि मां गंगा हमारे सांस्कृतिक वैभव और आस्था से तो जुड़ी ही है, साथ ही लगभग आधी आबादी को आर्थिक रूप से समृद्ध भी करती है. नमामि गंगे मिशन, नई सोच और नई एप्रोच के साथ शुरू किया गया.
यह देश का सबसे बडा नदी संरक्षण अभियान है. इसमें समन्वित रूप से काम किए गए. गंगा जी में गंदा पानी गिरने से रोकने के लिए एसटीपी का निर्माण किया गया या किया जा रहा है, अगले 15 वर्षों की आवश्यकता के अनुसार एसटीपी की क्षमता रखी गई, गंगा के किनारे लगभग 100 शहरों और 5 हजार गांवों को खुले में शौच से मुक्त किया गया है और गंगा की सहायक नदियों को भी प्रदूषण से मुक्त रखने का काम किया जा रहा है.
पीएम ने कहा कि उत्तराखण्ड में नमामि गंगे के अंतर्गत लगभग सभी प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं. राज्य में 6 साल में सीवेज ट्रीटमेंट की क्षमता को 4 गुना कर दिया गया है. लगभग सभी नालों को टैप कर दिया गया है. इनमें चंद्रेश्वर नाला भी शामिल है. यहां देश का पहला 4 मंजिला एसटीपी शुरू हो चुका है.
अगले वर्ष हरिद्वार कुम्भ मेले में श्रद्धालु गंगा की निर्मलता का अनुभव लेंगे. सैकड़ों घाटों का सौंदर्यीकरण किया गया है. साथ ही रिवर फ्रंट भी बनकर तैयार है. गंगा म्यूजियम से हरिद्वार आने वाले लोग गंगा से जुड़ी विरासत को समझ पाएंगे.
पीएम ने कहा कि गंगा के निकटवर्ती पूरे क्षेत्र की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर फोकस किया जा रहा है. यहां जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती की योजना है. आर्गेनिक फार्मिंग कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है. मिशन डॉल्फिन से डॉल्फिन संवर्धन में मदद मिलेगी.
पीएम ने कहा कि पानी की महत्ता को माता-बहनों से अधिक कौन समझ सकता है. हमने जल से जुड़े मंत्रालयों को एक कर जलशक्ति मंत्रालय का गठन किया.
जल जीवन मिशन के तहत हर घर को नल से जल का लक्ष्य लिया गया है. सीएम रावत के नेतृत्व में उत्तराखण्ड सरकार एक कदम और आगे बढ़ी है.
उन्होंने केवल एक रूपए में पानी का कनेक्शन देने का बीड़ा उठाया है. वर्ष 2022 तक हर घर नल से जल देने का लक्ष्य रखा गया है.
उत्तराखण्ड में कोरोना काल में भी पिछले 4-5 माह में 50 हजार परिवारों को पानी का कनेक्शन दिया गया है जो कि उत्तराखण्ड सरकार के संकल्प को दर्शाता है.
जल जीवन मिशन ने गांवों में पानी की समस्या से मुक्त करने का अवसर दिया है. 2 अक्टूबर से जल जीवन मिशन के तहत अभियान चलाकर 100 दिनों में सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में नल से जल सुनिश्चित किया जाएगा.
वर्ष 2014 के बाद देश हित में बहुत से बड़े काम किए गए. इनमें कृषि विधेयक, डिजीटल इण्डिया, जीएसटी, वन रैंक वन पेंशन शामिल हैं.
वन रैंक वन पेंशन से उत्तराखण्ड के एक लाख से अधिक पूर्व सैनिक लाभान्वित हुए हैं. सर्जिकल स्ट्राइक से आतंकवाद को चोट पहुंचाई गई.
राफेल से वायुसेना की ताकत काफी बढ़ी है. सरदार पटेल की मूर्ति राष्ट्रीय एकता और अखण्डता की प्रतीक है. अंतरराष्ट्रीय योग दिवस से सारी दुनिया योग के महत्व से परिचित हुई.
अयोध्या में रामजन्म भूमि मंदिर का भूमि पूजन किया गया. देश को ताकतवार बनाने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान शुरू किया गया है.
उत्तराखण्ड के सीएम ने पीएम और केंद्र सरकार का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि प्राथमिकता के चिन्हित 16 नगरों हेतु स्वीकृत 19 योजनाओं में से 15 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं. शेष कुम्भ से पहले पूरी हो जाएंगी.
प्राथमिकता के इन नगरों में चिन्हित किए गए 135 नालों में से 128 टैप किए गए हैं शेष को कुम्भ से पहले टैप कर लिया जाएगा.
गंगा किनारे उत्तराखण्ड राज्य के विभिन्न स्थानों पर 21 स्नान घाटों जिसमें भव्य चंडी घाट भी शामिल है और 23 मोक्षधामों का निर्माण किया गया है.
गंगा नदी के कैचमेंट एरिया में जो कार्य कराए गए हैं, उनका लाभ आने वाले समय में अवश्य मिलेगा.
गंगा के दोनों किनारों पर 5 से 7 किलोमीटर के क्षेत्र में जैविक खेती को विकसित करते हुए स्थाई कृषि प्रथाओं को भी नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत प्रोत्साहन दिया जा रहा है.
नमामि गंगे कार्यक्रम में निर्मित एसटीपी से निकलने वाले शोधित जल को भी कृषकों को सिंचाई हेतु उपलब्ध कराया जा रहा है.
गंगा जी की निर्मलता और अविरलता के लिए प्रधानमंत्री जी के भगीरथ प्रयासों के परिणाम भी देखने को मिल रहे हैं.
यहां तक की गंगा मे डाल्फिन और महाशिर मछलियां भी पुनः दिखने लगी हैं. गंगा के किनारे आर्गेनिक खेती व औषधीय पौधों की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है.
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संचय व जल संरक्षण को लेकर जनचेतना का संचार हुआ है.
यह आंदोलन जन जन का विषय बनने लगा है. वर्ष 2014 से नमामि गंगे एक मिशन मोड में काम कर रहा है. इसके लिए पर्याप्त बजट की व्यवस्था की गई. समन्वित एप्रोच पर काम किया गया.
गंगा प्रवाह क्षेत्र में 315 परियोजनाएं अभी तक इसमें ली गई हैं. कुल 28854 करोड़ की स्वीकृति दी जा चुकी है. इनमें से 9 हजार करोड़ की परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं. इनके स्पष्ट परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं. हाईब्रिड एन्यूटी प्रणाली अपनाई गई है.
गंगा प्रहरी और अनेक संगठनों के माध्यम से नमामि गंगे को जन अभियान बनाया गया है. गंगा की शुचिता के साथ ही अविरलता पर भी ध्यान दिया गया है. इसके लिए ई-फ्लो अधिसूचना जारी की गई.
अगले वर्ष हरिद्वार में कुम्भ मेले के समय गंगा जल आचमन योग्य होगा. रिसाईकिल पानी को रियूज करने का भी प्रयास किया जा रहा है. गंगा की सहायक नदियों पर भी प्रभावी काम कर रहे हैं.