चमोली में आई प्राकृतिक आपदा के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने सबसे पहले इस ऋषिकेश पावर परियोजना का विरोध जताया. उमा भारती ने कहा कि ग्लेशियर टूटने के कारण हुई त्रासदी चिंता का विषय होने के साथ-साथ चेतावनी भी है.
उन्होंने कहा कि मंत्री रहते हुए वह गंगा और उसकी मुख्य सहायक नदियों पर बांध बनाकर पनबिजली परियोजनाएं लगाने के खिलाफ थीं. बता दें कि उमा भारती एनडीए के पहले कार्यकाल जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री थी.
पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने ट्वीट करते हुए लिखा कि इस संबंध में मैंने अपने मंत्रालय की तरफ से हिमालय उत्तराखंड के बांधों के बारे में जो हलफनामा दिया था उसमें यही आग्रह किया था कि हिमालय एक बहुत संवेदनशील स्थान है इसलिए गंगा और उसकी मुख्य सहायक नदियों पर पनबिजली परियोजना नहीं बनने चाहिए. उन्होंने कहा कि बिजली आपूर्ति में होने वाली कमी को राष्ट्रीय ग्रिड से पूरा किया जा सकता था.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उत्तराखंड में अलकनंदा, मंदाकिनी, भागीरथी और गंगा नदियों पर कोई भी बांध या पावर प्रोजेक्ट खतरनाक होगा. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने भी केदारनाथ में आई भयंकर प्राकृतिक आपदा के बाद इन बिजली परियोजनाओं के निर्माण को लेकर पूछा था, अगर इन पावर प्रोजेक्ट्स से वन और पर्यावरण को खतरा है, तो इन्हें रद क्यों नहीं किया जा रहा? अदालत ने कहा था कि उन अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती, जिन्होंने इन्हें मंजूरी दी? लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की भी अवहेलना की जाती रही.