शिलॉन्ग|भारत को पूर्वोत्तर में उग्रवाद के खिलाफ जंग में बड़ी सफलता मिली है. मेघालय राज्य से लगती हुई असम और बांगलादेश की सीमा पर भारतीय सेना की इंटेलिजेंस एजेंसी के सुनियोजित ऑपरेशन के तहत उग्रवादी संगठन उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम)-इंडिपेंडेंट के नेता दृष्टि राजखोवा ने अपने कुछ साथियों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया है.
खुफिया इनपुट और पिछले नौ महीने के सुरक्षाबलों के अथक प्रयास का फल मिल गया. असम में उग्रवादी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार उल्फा के टॉप लीडर्स में शुमार राजखोवा वॉन्टेड लिस्ट में था.
असम सहित पूर्वोत्तर के इलाके में शांति स्थापित करने के प्रयासों में राजखोवा का सरेंडर एक बड़ी सफलता है.
उग्रवादी संगठन का सेकेंड-इन कमांड राजखोवा अभी फिलहाल आर्मी इंटेलिजेंस की कस्टडी में है. समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार उसे असम लाया जा रहा है. उसे उल्फा (आई) के कमांडर इन चीफ परेश बरुआ का करीबी माना जाता है. राजखोवा और उसके साथियों के पास से भारी मात्रा में हथियार भी बरामद हुए हैं.
सूत्रों के अनुसार राजखोवा कुछ दिनों पहले तक बांगलादेश में ही था. वह कुछ सप्ताह पहले ही मेघालय की तरफ आया है.
1990 में ही प्रतिबंधित कर दिए गए उल्फा के तीन खूंखार उग्रवादियों को अगस्त महीने में अरुणाचल प्रदेश के तिराप जिले से गिरफ्तार किया गया था.