केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि भगोड़े शराब कारोबारी विजयमाल्या के प्रत्यर्पण का आदेश ब्रिटेन की सर्वोच्च अदालत दे चुकी है, लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा रहा है.
ब्रिटेन में इस मामले में कुछ गोपनीय कार्यवाही चल रही है, जिसकी जानकारी भारत को भी नहीं दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को माल्या के खिलाफ अवमानना मामले की सुनवाई के दौरान यह खुलासा हुआ है. उधर, कोर्ट ने साफ जवाब न देने के लिए भगोड़े कारोबारी के वकील को फटकार लगाई और सुनवाई 2 नवंबर के लिए टाल दी है.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने माल्या के वकील से कोर्ट की अवमानना से जुड़े मामले में पूछा कि माल्या इस मामले में कब पेश हो सकते हैं.
अदालत ने यह भी जानना चाहा कि मामले में क्या हो रहा है और प्रत्यर्पण में क्या बाधा है.
इस पर, विदेश मंत्रालय द्वारा अदालत को बताया गया कि ब्रिटेन के सर्वोच्च न्यायालय ने प्रत्यर्पण का आदेश दिया था, लेकिन इसे लागू नहीं किया जा रहा है.
कुछ गुप्त क्रियाएं हो रही हैं, जिनके बारे में भारत सरकार को अवगत नहीं कराया गया है. भारत सरकार को न तो कोई जानकारी दी गई है और न ही इसे पार्टी बनाया गया है. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 2 नवंबर को करेगा.
जस्टिस यू यू ललित और अशोक भूषण की पीठ ने माल्या के वकील से अदालत को सूचित करने के लिए कहा कि उन्हें प्रत्यर्पित करने के लिए किस तरह की “गुप्त” कार्यवाही चल रही है.
माल्या की ओर से पेश अधिवक्ता अंकुर सहगल ने शीर्ष अदालत को बताया कि उन्हें नहीं पता था कि किस तरह की कार्यवाही चल रही है.
बता दें कि विजय माल्या बंद किंगफिशर एयरलाइंस के लिए बैंकों से 9 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान नहीं करने के मामले में आरोपी हैं.
वह वर्तमान में ब्रिटेन में रह रहे हैं, जिनकी सरकार उन्हें प्रत्यर्पित करने की कोशिश कर रही है.