पीएम मोदी के गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर को गुजरात से जोड़ने के बयान के बाद तृणमूल कांग्रेस ने तल्ख टिप्पणी की है. ‘बंगाल सरकार के मंत्री ने पीएम के संबोधन में उच्चारण और तथ्यात्मक त्रुटियों पर भी उनकी आलोचना की’. ममता बनर्जी सरकार में मंत्री ब्रत्य बोस ने कहा कि मोदी के टैगोर और गुजरात को जोड़ने की कोशिश अक्षम्य थी.
मंत्री बोस ने कहा कि टैगोर के भाई जो गुजरात में पदस्थापित थे, उनके सबसे बड़े भाई नहीं थे. उनकी पत्नी का नाम ज्ञाननंदनी था, न कि जो पीएम ने कहा. ब्रत्य बोस कहा कि ज्ञाननंदनी और साड़ी के पल्लू की कहानी एक मिथक है, सच नहीं है.
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि पीएम ने टैगोर के राष्ट्रवाद की बात की, जबकि टैगोर ने राष्ट्रवाद को सबसे विभाजनकारी चीज कहा था. धर्म को विभाजित करने के लिए इस शब्द के उपयोग की टैगोर ने वकालत नहीं की थी. आपको बताते हैं कौन हैं ज्ञाननंदनी देवी.
टैगोर परिवार की बहू ज्ञाननंदनी देवी रवींद्र नाथ टैगोर के बड़े भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर की पत्नी थीं. वह 1863 में भारतीय सिविल सर्विस में जाने वाली पहली भारतीय थीं. दरअसल ज्ञाननंदनी देवी ने अपनी इंग्लैंड और बॉम्बे की यात्राओं के अनुभवों और पारसी गारा पहनने के तरीकों को मिलाकर साड़ी पहनने का तरीका निकाला जो आज भी भारत में प्रचलन में है. बताते हैं कि सबसे पहले इसे ब्रह्मसमाज की औरतों ने अपनाया था इसलिए इसे ब्रह्मिका साड़ी कहा गया.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार