कोरोना महामारी के चलते लागू लॉकडाउन में टी गार्डन पर भी खासा प्रभाव पड़ा. 2019 में सैलानियों के लिए 20 लाख की लागत से टी कैफे खोला गया.
इससे सैलानी यहां घूमने के साथ हरि पत्तियों से बनी आर्थो टी चाय की चुस्कियां ले सकें, लेकिन खुलने के एक माह बाद ही लॉकडाउन के चलते कैफे बंद करना पड़ा था.
हालांकि अनलॉक 2 में गाइडलाइन में ढील के बाद श्यामखेत चाय बागान सैलानियों के लिए खोल दिया गया. इसके बाद अनलॉक 5 में चाय विकास पर्यटन सहकारिता कमेटी ने सैलानियों के लिए बागान में बने टी कैफे को भी खोल दिया है.
अब सैलानी यहां फिर चाय की चुस्कियां ले सकेंगे. 1995 में स्थापित चाय बागान 2000 में सैलानियों के लिए खोला था. पर्यटन बढ़ने के साथ 2019 में विभाग ने वहीं देसी से 20 व विदेशी पर्यटकों के लिए 50 रु प्रवेश शुल्क लेना शुरू किया.
जिले में श्यामखेत के अलावा रामगढ़ में 20 हेक्टेयर, नथुवाखान में 30, धारी गुनियालेख में 45, पदमपुरी में 35 और बेतालघाट में 20 हेक्टेयर में चाय का उत्पादन हो रहा हैं. करीब 3 हजार किलो चाय का उत्पादन जिले में हो रहा हैं.
2018 में 96 हजार 915 सैलानियों ने चाय बागान के दीदार करने पहुंचे थे, जिससे बोर्ड को 19 लाख 38 हजार और 2019 में 83 हजार 540 पर्यटक पहुंचे और 14 लाख 70 हजार की आय प्राप्त हुई.
यहां चाइना हाइब्रिड के पौंधों का प्लांटेशन कर आर्थो टी तैयार की जाती हैं. इसकी मांग हर साल विदेशों में बढ़ती जा रही हैं. इसका अब तक का सबसे अधिक मूल्य दक्षिण कोरिया में 97000रु प्रतिकिलो रहा है.
नवीन पांडे मैनेजर चाय बागान श्यामखेत भवाली ने बताया चाय बागान में बने टी कैफे भी खोल दिया है. हर दिन करीब 20 से 50 लोकल पर्यटक चाय बागान के दीदार को पहुंच रहे हैं. जल्द ट्रेनों के संचालन के बाद सैलानी बढ़ेंगे. यहां तैयार आर्थो टी चाय की चुस्कियां भी ले सकेंगे.