एक नज़र इधर भी

म्यूजिक डे विशेष: सुख-दुख का साथी है संगीत, हर वर्ग में साथ निभाता है इसका जादू

आज डिप्रेशन, तनाव और स्ट्रेस कम करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिन है. एक ओर दुनिया में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है दूसरी ओर वर्ल्ड म्यूजिक डे भी पर विश्व झूम रहा है. बता दें कि संगीत ऐसा माध्यम है जो लोगों को स्फूर्ति और ताजगी देता है.

संगीत करोड़ों लोगों की जिंदगी का हिस्सा भी बना हुआ है. आज संगीत प्रेमियों के लिए यह दिन किसी उत्सव से कम नहीं होता या कहें उनके लिए यह सबसे बड़ा ‘त्योहार’ माना जाता है.म्यूजिक हमारी जिंदगी में तनाव को कम करता है और बेहतर नींद देने में भी मदद करता है. संगीत की भी एक अलग भाषा और दुनिया होती है जो इसमें रम गया वह ताउम्र इसी के साथ अपना जीवन भी जीता है. संगीत एक जादू, नशा है जो हर वर्ग के आयु को आकर्षित करता रहा है.

कई बार लोग संगीत की धुन पर थिरकने को मजबूर हो जाते हैं तो कई बार संगीत आंखों में आंसू भी ला देता है. भारत के संगीत की पूरे विश्व में एक अलग पहचान रही है. जिसकी वजह से दुनिया के लाखों लोग खिंचे चले आते हैं. यह दिमाग और दिलों को तरोताजा भी कर देता है. दुनिया भर में हर साल 21 जून को वर्ल्ड म्यूजिक डे के तौर पर मनाया जाता है. 120 से ज्यादा देश वर्ल्ड म्यूजिक डे मनाते हैं. इसका एक उद्देश्य उभरते हुए युवा और प्रोफेशनल म्यूजिशियन की आर्ट को आगे लाना भी है. संगीतकारों और गायकों के सम्मान के साथ-साथ आम आदमी की जिंदगी में म्यूजिक के असर को सेलिब्रेट करने के लिए इस दिन को मनाया जाता हैै.

आइए जानते हैं कि पूरी दुनिया में संगीत को पहुंचाने के लिए पहला आयोजन कब और कहां हुआ था. फ्रांस में पहला म्यूजिक जलसा आयोजित हुआ था. अब संगीत प्रेमी तो इस बात को ज्यादा अच्छी तरह समझ सकते हैं कि फ्रांस किस तरह अपनी संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाता है. फ्रांस में यह साल 1982 में मनाया गया और तब से यह सिलसिला अनवरत जारी है. फ्रांस में इस जलसे को Fete de la Musique के नाम से जाना जाता है. इस जलसे से जुड़ी दूसरी थ्योरी भी है.

इस जलसे से एक और थ्योरी भी जुड़ती है. साल 1976 में अमेरिका के मशहूर संगीतकार जोएल कोहेन ने फ्रांस में संगीत पर आधारित एक जलसे का आयोजन किया. तब से 21 जून की तारीख में हर साल वर्ल्ड म्यूजिक डे मनाया जाता है. अब यह जलसा दुनिया के 32 से अधिक देशों में आयोजित किया जाता है. अलग-अलग देशों के संगीतकार अपने-अपने वाद्ययंत्रों के साथ रात भर कार्यक्रम पेश करते हैं और संगीत को समृद्ध करते हैं.

यहां हम आपको बता दें कि इस मौके पर अलग-अलग देशों के मशहूर संगीतकार लोगों के लिए पार्क, म्यूजियम, रेलवे स्टेशन और आम जगहों पर लोगों के लिए गीत-संगीत बजाते हैं. वे इसके एवज में कोई पैसा भी नहीं लेते, वे ऐसा करके जनता और म्यूजिक के बीच पुल का काम करते हैं. आइए आज वर्ल्ड म्यूजिक डे पर संगीत के साथ गुनगुना लिया जाए.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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