आज हम एक ऐसे पेशे की चर्चा करने जा रहे हैं जो सभी की जिंदगी से कभी न कभी जुड़ा हुआ होता है. इसके साथ उनकी बातों को लोग गंभीरता के साथ ‘अमल’ भी करते हैं. इनकी तुलना ‘भगवान’ से भी की जाती है. ‘कोरोना महामारी के दौरान इनकी ड्यूटी के साथ समर्पण और सेवा भाव का महत्व और बढ़ गया है’. खुशहाल जीवन जीने के लिए अच्छी सेहत बहुत जरूरी है. अगर कोई भी इंसान बीमारियों से घिर जाता है तब उसे डॉक्टर याद आते हैं.
ऐसे समय में हमें डॉक्टर जिंदगी जीने के लिए ‘हौसला’ भी देते हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं डॉक्टर की. आज 1 जुलाई है . हर साल इस तारीख को ‘राष्ट्रीय डॉक्टर्स डे’ मनाया जाता है. ‘इस दिन को मनाने का मुख्य उद्देश्य बेहतर स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करना और डॉक्टरों को उनकी समर्पित सेवा के लिए शुक्रिया अदा करना है’. इस साल 2021 नेशनल डॉक्टर्स डे की थीम कोरोना वायरस से जोड़ कर ही रखी गई है, ‘बिल्डिंग ए फेयरर, हेल्दियर वर्ल्ड’ है.
‘आपने देखा होगा हर घर में छोटी-मोटी बीमारियों के लिए आवाजें सुनाई पड़ती हैं अरे डॉक्टर को नहीं दिखाया क्या, बीमारी आगे बढ़ जाए उससे पहले डॉक्टर को दिखा लो’. डॉक्टर के पास जाने से ही आधी बीमारी मनोवैज्ञानिक दृष्टि से दूर हो जाती है. आज नेशनल डॉक्टर्स डे पर आइए डॉक्टर के त्याग-समर्पण को लेकर कुछ चर्चा की जाए. ‘डॉक्टर हमारे जिंदगी में बहुत ही खास रोल अदा करते हैं, जब भी कोई व्यक्ति बीमार पड़ता है, तो वो डॉक्टर के पास ही जाता है, क्योंकि डॉक्टर ही लोगों को छोटी ही नहीं कई गंभीर और खतरनाक बीमारियों से भी बचाते हैं’.
ऐसे मुश्किल भरे वक्त में डॉक्टर ही उन्हें ठीक करते हैं और एक नई जिंदगी देने का काम करते हैं. हमारी सेहत का ध्यान रखने के साथ ही वो हमें कई तरह के ‘रोग’ से भी दूर रखते हैं. कोविड-19 महामारी में अपनी जान की परवाह किए बगैर डॉक्टर्स लोगों को नया जीवन देने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. ‘जबकि सही मायने में देश और दुनिया के डॉक्टर इस खतरनाक जानलेवा वायरस से लड़ने के लिए तैयार नहीं थे, लेकिन फिर भी मरीजों को बचाने के लिए हर दिन जूझ रहे हैं’. आपको बता दें कि डॉक्टर एक ऐसा प्रोफेशन है, जिसमें मरीजों का साथ पूरे जीवन भर बना रहता है.
देश में साल 1991 से डॉक्टर्स डे मनाने की हुई थी शुरुआत
बता दें कि भारत में हर साल 1 जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे यानी राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस मनाया जाता है. केंद्र सरकार ने साल 1991 में इस दिवस को मनाने की शुरुआत की थी, जिसके बाद से हर साल इस दिवस को एक ‘थीम’ के साथ मनाया जाता रहा. लेकिन साल 2020 में कोरोना महामारी के चलते नेशनल डॉक्टर्स डे थीम की घोषणा नहीं की जा सकी. आइए आपको बताते हैं डॉक्टर्स डे क्यों और किसकी याद में मनाया जाता है.
‘एक जुलाई को डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय का जन्मदिन और पुण्यतिथि होती है, उन्होंने चिकित्सा के क्षेत्र में अहम योगदान दिया है, उन्हें उनके दूरदर्शी नेतृत्व के लिए बंगाल का आर्किटेक्ट भी कहा जाता है’. 1961 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था. उन्हीं की याद में तत्कालीन केंद्र सरकार ने साल 1991 में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाने का एलान किया था, तब से हर साल एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है.
‘यह खास दिन उन तमाम डॉक्टरों को समर्पित है जो जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे इंसानों का न सिर्फ इलाज करते हैं, बल्कि एक नया जीवन भी देते हैं’. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज डॉक्टर्स डे के अवसर पर चिकित्सा जगत से जुड़े लोगों को संबोधित करेंगे. इस अवसर पर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने एक कार्यक्रम पीएम मोदी चिकित्सकों का मनोबल बढ़ाएंगे.
प्रधानमंत्री ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, ‘कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में भारत को अपने सभी डॉक्टरों के प्रयासों पर गर्व है. एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है. गुरुवार दोपहर तीन बजे आईएमए की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में चिकित्सक समुदाय को संबोधित करूंगा.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार