आज देशवासियों में विजय उत्सव के साथ हर्षोल्लास का माहौल है. देश में रौनक छाई है. बाजारों में चहल-पहल है. घरों में सभी छुट्टी के मूड में हैं. एक ऐसा पर्व (त्योहार) जिसे बहुत शुभ माना जाता है.
इस दिन सभी अच्छे कार्य और नई शुरुआत के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन कहा जाता है. हम बात कर रहे हैं, दशहरा विजय दशमी की. आज देशभर में दशहरे यानी विजयदशमी का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. ‘दशहरा उत्सव आते ही रावण के घमंड और अहंकार याद आते हैं.
वह रावण जिसने मरते दम तक अपना अहंकार कम नहीं किया . जब-जब रावण का नाम लिया जाता है तब बुराई पर अच्छाई की जीत याद आती है’. यह पर्व नौ दिनों तक मां दुर्गा के नवरात्रि पूजन के बाद दसवें दिन आता है. दशहरा अश्विन माह की शुक्लपक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है. मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने असत्य को परास्त कर विजय हासिल की थी और मां दुर्गा ने महिषासुर नाम की बुराई का अंत किया था.
इस दिन मां दुर्गा और भगवान श्रीराम का पूजन होता है. मान्यता है कि इस दिन किए जाने वाले कामों का शुभ फल अवश्य प्राप्त होता है. बता दें कि देश में प्राचीन समय से इस दिन सनातन धर्म में शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है.
देशवासी शस्त्र पूजन के साथ ही वाहन पूजन भी करते हैं. वहीं आज के दिन से किसी भी नए कार्य की शुरुआत करना भी शुभ माना जाता है. दुकानदारों और व्यापारी वर्ग जिस दिन अपने प्रतिष्ठानों की पूजा अर्चना करते हैं.
इसके साथ ऑफिसों (दफ्तरों) में भी दशहरे पर पूजन करने की परंपरा है. दशहरा उत्सव के लिए राजधानी दिल्ली समेत तमाम छोटे-बड़े शहरों में रावण का पुतला दहन करने के लिए तैयारी शुरू हो गई है.
बता दें कि विजयदशमी के दिन मेले का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग आते हैं. हर वर्ष दशहरा के दिन रावण, मेघनाथ और कुंभकरण को बुराई का प्रतीक मानकर उनके पुतले जलाए जाते हैं. इस बार देश में कोविड-19 के मरीज कम होने से पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार दशहरा पर उल्लास है.
लेकिन इस साल भी कई जगह पर रावण के पुतले की लंबाई को कम कर दिया गया है. दशहरा पर शुभ मुहूर्त इस प्रकार है. इस साल दशमी की तिथि 14 अक्टूबर को शाम 06.52 बजे से शुरू होकर 15 अक्टूबर को शाम काल 06.02 बजे तक रहेगी. इसके बाद एकादशी तिथि लग जाएगी.
इसलिए उदया तिथि के अनुरूप दशहरा 15 अक्टूबर, दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा. दशहरा के पूजन का शुभ मुहूर्त विजय मुहूर्त होगा. जो कि 15 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 07 मिनट से 02 बजकर 53 मिनट तक रहेगा.
पौराणिक कथाओं में भी दशहरा उत्सव मनाने की चली आ रही है परंपरा
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस त्योहार का नाम दशहरा पड़ा क्योंकि इस दिन भगवान राम ने दस सिर वाले राक्षस रावण का वध किया था. तब से यह परंपरा चली आ रही है और विजयादशमी के दिन 10 सिर वाले रावण के पुतले जलाए जाते हैं, ये सिर वासना, क्रोध, लालच, भ्रम, नशा, ईर्ष्या, स्वार्थ, अन्याय, अमानवीयता और अहंकार की अभिव्यक्ति के तौर पर जाने जाते हैं. भगवान श्री राम द्वारा रावण के वध कथा के अलावा एक अन्य पौराणिक कथा है. इसके अनुसार असुर महिषासुर और उसकी सेना देवताओं को परेशान कर रहे थे.
इस वजह से मां दुर्गा ने लगातार नौ दिनों तक महिषासुर और उसकी सेना से युद्ध किया था. और इस युद्ध के दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर विजय प्राप्त की थी. इसी वजह से इसे विजयदशमी भी कहा जाता है और इस दिन को धूमधाम से दशहरा के रूप में मनाया जाता है.
मान्यता है कि भगवान श्री राम ने नवरात्र के नौ दिन तक मां दुर्गा की उपासना की थी. वहीं दसवें दिन मां दुर्गा का आशीर्वाद पाकर रावण का अंत किया था. तब से ही दशहरा मनाया जाता है. शारदीय नवरात्रि के 10वें दिन और दीपावली से ठीक 20 दिन पहले दशहरा आता है. दशहरा के दिन गायत्री मंत्र का 108 बार जाप करना शुरू करते हैं, तो बुद्धि-शुद्धि एवं निर्मल होगी . इससे मनुष्य का ह्रदय बल एवं आत्मबल भी बढ़ता है और उसे सभी समस्याओं का सामना करने का सामर्थ्य मिलता है.
आरएसएस का विजयदशमी पर स्थापना दिवस पर निकाला जाता है पथ संचलन
बता दें कि हर साल दशहरे यानी विजयदशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्थापना दिवस भी मनाया जाता है. स्वयंसेवक संघ यह आयोजन पूरे देश भर में आयोजित करता है. दशहरे के दिन संघ का सबसे बड़ा आयोजन मुख्यालय नागपुर में होता है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानि आरएसएस अपना 96वां स्थापना दिवस आज विजयदशमी के दिन मनाया जा रहा है.
इसी दिन 1925 ई. में नागपुर के मोहितेवाड़ा नामक स्थान पर संघ की स्थापना डाक्टर केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी. वैसे तो नवरात्र प्रारंभ होने के दिन से ही संघ के स्वयंसेवक स्थापना दिवस समारोह को शाखाओं पर मनाने लगते हैं, लेकिन विजयादशमी के दिन नागपुर में आयोजित समारोह में सरसंघचालक उपस्थित रहते हैं और स्वयंसेवकों को संबोधित करते हैं.
समारोह में स्वयंसेवक अस्त्र-शस्त्र पूजन करने के साथ ही पथसंचलन निकालते हैं. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस के पूर्व सांसद राहुल गांधी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आदि तमाम नेताओं ने विजयदशमी पर्व की देशवासियों को शुभकामनाएं दी है.