विश्व जनसंख्या दिवस: परिवार और देश में खुशहाली के लिए संकल्प के साथ इरादे भी ‘बुलंद’ करने होंगे

छोटा परिवार सुखी परिवार. बच्चे दो ही अच्छे. बढ़ती जनसंख्या किसी भी देश के विकास में बड़ी बाधा मानी जाती है. इसके साथ तेजी से बढ़ती जनसंख्या से दुनिया के तमाम देश चिंतित हैं.

आप लोग सोच रहे होंगे रविवार ‘सुकून’ भरे पल में जनसंख्या, दो बच्चे और सुखी परिवार की क्यों बात की जा रही है. चलिए हम ही बता देते हैं. आज 11 जुलाई है. इस तारीख को हर साल ‘विश्व जनसंख्या दिवस’ मनाया जाता है. हमारा देश भी कई वर्षों से जनसंख्या ‘विस्फोट’ पर नियंत्रण नहीं कर पाया है.

राज्य या केंद्र सरकारों ने इस पर कानून बनाने के लिए कई बार ‘मसौदा’ तो तैयार किया लेकिन इसे अभी तक ‘अमलीजामा’ नहीं पहनाया जा सका है. दुनिया की करीब 7.8 अरब आबादी में से 17.5 प्रतिशत हिस्‍सा भारत का है. बढ़ती आबादी का अंदाजा इस बात से लगाएं कि अगले 10 साल में वह चीन को पछाड़ दुनिया का सबसे ज्‍यादा आबादी वाला देश बन सकता है. देश के हर वर्ग किलोमीटर में 464 लोग बसते हैं.

आज विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर पूरे देश की ‘निगाहें’ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की ओर लगी हुई हैं. ‌मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण करने के लिए एक नया ‘ड्राफ्ट’ तैयार कर लिया है. ‌विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जनसंख्या नीति 2021-30 जारी कर रहे हैं . ‘सीएम योगी आज 11.30 बजे उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति पेश करेंगे. नई जनसंख्या नीति अगले दस सालों के लिए मान्य होगी’.

योगी के इस फैसले के बाद प्रदेश में राजनीति भी गरमाई हुई है. ‘बता दें कि 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस ‘सियासी मास्टरस्ट्रोक’ से विपक्षी पार्टियों की गर्मी बढ़ा दी है. ‘सीएम आदित्यनाथ ने साफ तौर पर कह दिया है कि उनकी सरकार यूपी में जल्द ही जनसंख्या नीति लागू करने वाली है’. उत्तर प्रदेश के योगी सरकार के इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर ‘बहस’ का दौर जारी है.

सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर यूपी में ‘जनसंख्या नीति’ लागू किए जाने को लेकर तमाम प्रकार की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. आइए अब उत्तर प्रदेश से निकलकर जनसंख्या दिवस के बारे में भी जान लिया जाए. इस दिवस को मनाने के लिए हर साल एक नई ‘थीम’ रखी जाती है इस बार की थीम है, ‘अधिकार और विकल्प उत्तर हैं- चाहे बेबी बूम हो या बस्ट, प्रजनन दर में बदलाव का समाधान सभी लोगों के प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों को प्राथमिकता देना है’.

भारत की जनसंख्या भी एक महामारी से कम नहीं है. जनसंख्या विस्फोट देश में आर्थिक और सामाजिक समरसता और संतुलन बिगड़ रहा है. आज हम कई क्षेत्रों में अधिक आबादी होने वैसे ‘पिछड़़ते’ जा रहे हैं. आबादी बढ़ने को लेकर कहीं न कहीं हम भी इसके सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं. ‘इस मौके पर बात लंबी नहीं बल्कि संकल्प लेने और बुलंद इरादों वाली होनी चाहिए’. दुनिया भर के देशों में तेजी से बढ़ती जनसंख्या मानव समाज के साथ पृथ्वी पर भी ‘भयावह’ संदेश दे रही है.

‘बच्चों के जन्म को लेकर अभी तक इंसानों की सोच रही है कि यह सब भगवान की देन है, इसको अब पीछे छोड़ना होगा और एक नया माहौल तैयार करना होगा, जिसमें खुशहाल जिंदगी और खुशहाल परिवार हो’. विश्व जनसंख्या दिवस को मनाने का उद्देश्य यह है कि, दुनिया के प्रत्येक व्यक्ति बढ़ती जनसंख्या की ओर अवश्य ध्यान दें और जनसंख्या को नियंत्रित करने में अपना योगदान भी अवश्य करें.

वर्ष 1989 में जनसंख्या दिवस मनाने की हुई शुरुआत, दुनिया बढ़ती आबादी से चिंतित
आज विश्व जनसंख्या दिवस मनाने को लेकर 32 साल हो गए हैं. हम अगर बात करें तो 11 जुलाई 1989 को जब विश्व की जनसंख्या 5 अरब पार कर गई थी तभी से यह दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी. तभी कुछ लोगों ने भविष्यवाणी की थी यह आगे चलकर कितनी बड़ी समस्या का रूप लेनेवाला है.

तब से दुनिया के हर कोने में जनसंख्या दिवस मनाया जाता है और जनसंख्या कंट्रोल करने के लिए तरह-तरह से प्रोत्साहित किया जाता है. तेजी से बढ़ रही जनसंख्या को लेकर लोगों को इसके प्रति ‘जागरूक’ करने के लिए हर साल यह दिवस मनाया जाता है, ताकि लोग इसे रोकने, कम करने पर ध्यान दें. लेकिन इस मौके पर लोग बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करते हैं लेकिन ‘फैमिली प्लानिंग’ को लेकर अमल नहीं हो पाता है.

हमें अभी से बढ़ती आबादी के प्रति जागरूक रहना होगा और समाज को भी इसके लिए तैयार करना होगा, उन्हें बताना होगा छोटा परिवार ‘खुशहाल’ माना जाता है. सही मायने में भारत में जनसंख्या विस्फोट रोकने के लिए अभी तक केंद्र सरकार या राज्य सरकारों ने कोई ठोस नीति नहीं बनाई है. यूएन अनुसार 2023 तक पूरी दुनिया की आबादी 8 अरब से और 2056 तक 10 अरब अधिक हो जाएगी. दुनिया के लिए ये खतरे की घंटी है.

विश्व की आधी आबादी दुनिया के सिर्फ 9 देशों में रहती है. भारत, चीन समेत कई विकासशील देशों के लिए बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय है. भारत के बाद तीसरे पायदान पर अमेरिका है.

अगर ऐसे ही हाल रहा तो हम चीन की जनसंख्या से जल्द ही आगे निकल जाएंगे. अब समय आ गया है, हमें भी इसके रोकथाम के लिए संकल्प लेना होगा. विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर अब समझदारी दिखानी होगी जिससे परिवार और देश खुशहाल रहे.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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