एक नज़र इधर भी

आज विश्व रेडियो दिवस की दसवीं सालगिरह पर जानें इसका इतिहास

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इस साल का वर्ल्ड रेडियो दिवस इसलिए भी खास है क्योंकि यह विश्व रेडियो दिवस की दसवीं सालगिरह है. यह बात नई पीढ़ी को हैरान करने वाली लग सकती है टेलीविजन के व्यापक होने के बाद भी रेडियो को आज भी उपयोगी माना जाता है.

अब आपको बताते हैं विश्व में रेडियो का इतिहास. 24 दिसम्बर 1906 की शाम थी जब कनाडाई वैज्ञानिक रेगिनाल्ड फेसेंडेन ने अपना वॉयलिन बजाया, जिसके बाद अटलांटिक महासागर में तैर रहे तमाम जहाजों के रेडियो ऑपरेटरों ने उस संगीत को अपने रेडियो सेट पर सुना, यह दुनिया में रेडियो प्रसारण की शुरुआत थी.

उसके बाद 20 अक्टूबर, 2010 को स्पेनिश रेडियो अकादमी के अनुरोध पर स्पेन ने संयुक्त राष्ट्र में रेडियो को समर्पित विश्व दिवस मनाने के लिए सदस्य देशों का ध्यानाकर्षण किया. जिसे स्वीकार कर संयुक्त राष्ट्र के शैक्षणिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन युनेस्को ने पेरिस में आयोजित 36वीं आमसभा में 3 नवंबर, 2011 को घोषित किया कि प्रत्येक वर्ष 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाएगा.

तभी से यह विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है.‌ यहां हम आपको बता दें कि अभी भी इसकी पहुंच हर उम्र में है, ऐसे में इसकी लोकप्रियता भी सबसे ज्यादा है. यह सूचना का सबसे शक्तिशाली और विश्वसनीय माध्यम है. साथ ही साथ रेडियो सूचना का सदियों से पुराना माध्यम बना हुआ है. इसका इस्तेमाल संसार की दुनिया में अब भी खूब होता है.

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