एक नज़र इधर भी

शिक्षक दिवस विशेष: विद्यार्थियों को शिक्षा और जीवन मूल्यों के साथ समाज सुधार के ‘निर्माता’ भी हैं शिक्षक

0

सादर नमन. आज प्रणाम करते हैं मनुष्य और इतिहास के वास्तविक निर्माता के साथ समाज को ‘जागृत’ करने वाले शिक्षक को. इसके साथ समाज में सबसे आदर और सम्मान के साथ अगर किसी का नाम लिया जाता है तो वह शिक्षक ही हैं. ‘भारत में शिक्षक के लिए गुरु शब्द का प्रयोग प्राचीनकाल से होता आया है, गुरु का शाब्दिक अर्थ होता है संपूर्ण यानि जो हमें जीवन की संपूर्णता को हासिल करने की दिशा में बढ़ने के लिए हमारा पथ आलोकित करता है’.

शिक्षा से बड़ा कोई वरदान नहीं है, गुरु के आशीर्वाद से बड़ा कोई सम्मान नहीं है, जीवन व्यक्ति को बहुत कुछ सिखाता है, गुरु का ज्ञान हर मुसीबत से बचाता है. शिक्षा देने वाले को शिक्षक कहते हैं. शिष्य के मन में सीखने की इच्छा को जो जागृत कर पाते हैं वे ही शिक्षक कहलाते हैं. ‘शिक्षक के द्वारा व्यक्ति के भविष्य को बनाया जाता है साथ ही अंधकार से उजाले की ओर ले जाता है’. यह चंद लाइनों से आप समझ ही गए होंगे क्यों लिखी गई है.

आज 5 सितंबर है. आज एक ऐसा दिवस है जो बचपन से लेकर जीवन के आखिरी समय तक ‘अटूट’ बंधन में बना रहता है. ‘एक ऐसा रिश्ता जिसमें ज्ञान (शिक्षा) आदर, सम्मान, अनुशासन, जीवन में आगे की राह दिखाने के साथ जीवन मूल्यों से जुड़ा हुआ है’. हम बात कर रहे हैं आज शिक्षक दिवस की. शिक्षक, गुरु अध्यापक और टीचर का नाम आते ही विद्यार्थियों में आदर-सम्मान का भाव अपने आप ही प्रकट हो जाता है.

आपको बता दें कि अध्यापक का समाज में बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है. वह उस धुरी के समान है जो बौद्धिक परंपराओं तथा तकनीकी क्षमताओं को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक हस्तांतरित करता है और सभ्यता की ज्योति को प्रज्वलित रखता है.

सदियों से गुरु-शिष्य की परंपरा के लिए दुनिया भर में हमारा देश पहचाना जाता है. ‘आज शिक्षक दिवस पर पूरे देश में विद्यार्थी शिक्षकों को प्रणाम करते हुए आशीर्वाद ले रहे हैं’. रविवार होने की वजह से स्कूल और कॉलेजों के बंद होने से छात्र-छात्राएं सोशल मीडिया से अपने गुरुजनों को बधाई और शुभकामनाएं दे रहे हैं.

‘शिक्षक दिवस’ शिक्षकों के सम्मान में हर साल 5 सितंबर को मनाया जाता है
बता दें कि किसी देश का भविष्य उसके बच्चों के हाथों में होता है. शिक्षक गुरु के रूप में छात्रों को भविष्य के नेताओं के रूप में ‘ढाल’ सकते हैं, जो भारत की नियति को आकार देते हैं. करियर और व्यवसाय में सफलता दिलाने के लिए वो एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करते हैं. वे हमें अच्छा इंसान, समाज का बेहतर सदस्य बनाने और देश का आदर्श नागरिक बनाने में मदद करते हैं. शिक्षक दिवस शिक्षकों के सम्मान में मनाया जाता है.

5 सितंबर को देश के पहले उप-राष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिवस पर देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. बता दें कि राजनीति में आने से पहले राधाकृष्णन शिक्षक थे. उन्होंने 40 सालों तक शिक्षक के रूप में कार्य किया. यह दिन शिक्षक के प्रति सम्मान का दिन होता है. राधाकृष्णन की इच्छा थी कि मेरे जन्मदिवस पर ही देश में टीचर्स डे मनाया जाए.

एक बार जब उनके जन्मदिवस पर उनके सहयोगियों और शिष्यों ने पूछा कि वो किस तरह इस दिन को मनाना चाहेंगे. तब उन्होंने इच्छा जाहिर की कि ‘मेरे जन्मदिन को मनाने की जगह यदि इस दिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए, तो मुझे ज्यादा खुशी होगी’. इसके बाद से राधाकृष्णन का जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.

बता दें कि देश में सबसे पहले वर्ष 1962 में पहली बार 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया गया था. तब से लगातार इसी तारीख को भारत में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है. आज 59वां शिक्षक दिवस है. आइए अब अपने प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय राष्ट्रपति राधाकृष्णन के बारे में जान लिया जाए.

सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 1888 में तमिलनाडु के तिरुतनी गांव में हुआ था
‘सर्वपल्ली राधाकृष्णन देश के सर्वोच्च पद राष्ट्रपति थे, तब भी वह शिक्षक की भूमिका में नजर आते थे’. उन्होंने अपने आदर्श और उसूलों के साथ कभी समझौता नहीं किया. राजनीति से लेकर शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अधिक सम्माननीय व्यक्ति कहे जाते हैं. बता दें कि डॉ. राधाकृष्णन का जन्म साल 1888 में तमिलनाडु के तिरुतनी नामक एक गांव में हुआ. एक गरीब परिवार में जन्मे राधा कृष्णन बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे.

उन्होंने फिलोसोफी में एमए किया और 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में फिलॉसफी के असिस्‍टेंट प्रोफेसर के रूप में कार्य किया, फिर कुछ साल बाद प्रोफेसर बने. कई भारतीय यूनिवर्सिटीज की तरह कोलंबो एवं लंदन यूनिवर्सिटी ने भी उनको अपनी मानक उपाधियों से उन्हें सम्मानित किया.

आजादी के बाद भी उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर काम किया और पेरिस में यूनेस्को नामक संस्था के कार्यसमिति अध्यक्ष भी बनाए गए. वहीं 1949 से 1952 तक वह रूस की राजधानी मास्को में भारत के राजदूत पद पर रहे और 1952 में भारत के पहले उपराष्ट्रपति बनाए गए, इसके बाद उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया. 17 अप्रैल 1975 को महान शिक्षक और आदर्श राजनेता सर्वपल्ली राधाकृष्णन का निधन हुआ.

टीचर्स डे पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने राधाकृष्ण को याद करते हुए दी शुभकामनाएं
देशभर में आज शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों के साथ तमाम गणमान्य हस्तियों ने भारत के प्रथम उप राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के मौके पर भी उन्हें याद किया है. ‘शिक्षक पर्व’ 2021 वर्चुअल तौर पर आज से 17 सितंबर तक मनाया जाएगा.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद आज एक वर्चुअल कार्यक्रम में 44 शिक्षकों को पुरस्कृत करेंगे. पीएम मोदी ने इस मौके पर कहा कि शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षक बिरादरी को शुभकामनाएं, युवाओं के बौद्धिक विकास में अध्यापकों की अहम भूमिका होती है.

यह सराहनीय है कि कैसे कोरोना संकट में भी टीचर्स द्वारा बनाया गया शिक्षा का सफर जारी रहा. इसके अलावा पीएम मोदी ने कहा कि, मैं डॉ. एस राधाकृष्णन को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं और उनकी विशिष्ट विद्वता और हमारे देश के लिए उनके योगदान को भी याद करता हूं.

दुनिया भर में शिक्षक दिवस मनाया जाता है. चीन से लेकर अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, अल्बानिया, इंडोनेशिया, ईरान, मलयेशिया, ब्राजील और पाकिस्तान तक शामिल हैं. हालांकि हर देश में इस दिवस को मनाने की तारीख अलग-अलग है. जैसे चीन में 10 सितंबर तो अमेरिका में छह मई, ऑस्ट्रेलिया में अक्टूबर के अंतिम शुक्रवार, ब्राजील में 15 अक्तूबर, पाकिस्तान में पांच अक्टूबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

NO COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Exit mobile version