मुंबई| रूना लैला एक ऐसी सिंगर हैं जो किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं. उन्हें भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश तीनों देशों से भरपूर प्यार मिला.
रूना लैला भारतीय उपमहाद्वीप की एक ऐसी कलाकार हैं, जिनकी आवाज का जादू चटगांव से लेकर कराची तक चला.
आज रूना लैला का जन्मदिन है. वैसे तो उनकी पैदाइश बांग्लादेश की है, लेकिन उनकी परवरिश और पढ़ाई पाकिस्तान में हुई. यही नहीं, उन्होंने अपने करियर की शुरुआत भी पाकिस्तान से ही की.
रूना लैला आज अपना 68वां जन्मदिन मना रही हैं, ऐसे में आपको बताते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें-
रूना लैला ने बांग्लादेश, भारत और पाकिस्तान की फिल्मी दुनिया में बहुत से गाने गाए हैं. उनका ‘दमा दम मस्त कलंदर’ से एक अलग ही पहचान मिली.
बांग्लादेश में जन्मी रूना ने सिर्फ 12 साल की उम्र में अपना पहला गाना गाया. उन्होंने पाकिस्तानी फिल्म ‘जुगनू’ के लिए अपना पहला गाना गाया. उनका सबसे फेमस गीत ‘उनकी नजरों से मोहब्बत का जो पैगाम मिला…’ ने उनके लिए कामयाबी की नई इबारत लिख दी.
रूना का यह गाना इतना मशहूर हुआ कि उनका नाम बड़े-बड़े फनकारों के साथ लिया जाने लगा. खास बात तो ये है कि उस वक्त रूना महज 14 साल की थीं. उन्होंने ‘दो दीवाने शहर में… रात या दोपहर में…’ और ‘दमा दम मस्त कलंदर….’ से तो लोगों का दिल ही जीत लिया. मुंबई में रूना का पहला कॉन्सर्ट 1974 में हुआ. इसी दौरान वो संगीतकार जयदेव से मिलीं.
जयदेव उनसे इतने इंप्रेस हो गए कि उन्हें ‘घरौंदा’ में मौका दे दिया. इसी फिल्म का गाना ‘तुम्हें हो ना हो, मुझको यकीं है…’ आज भी हजारों-लाखों दिलों पर राज करता है.
रूना ने जब भारतीय संगीत की दुनिया में कदम रखा, उन दिनों लता मंगेशकर और आशा भोंसले जैसी गायिका बॉलीवुड की दुनिया पर राज करती थीं. इस दौरान रूना ने ‘मेरा बाबू छैल छबीला, मैं तो नाचूंगी…’ और ‘दमा दम मस्त कलंदर…’ जैसे गीतों से उन्हें भी हैरान कर दिया. 1974 में रूना लैला को इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस से भारत आने का न्योता मिला.
इस दौरान काउंसिल ने उनसे पूछा कि वह अपने भारत दौरे के दौरान किससे मिलना चाहेंगी तो उन्होंने लता मंगेशकर का नाम लिया. रूना, लता मंगेशकर की बहुत बड़ी फैन हैं. इस बात का खुलासा उन्होंने खुद किया था.
साभार-न्यूज़ 18