हिंदू धर्म में तिथियों और नक्षत्रों का काफी महत्व होता है. तिथियों में भी कुछ तिथियां अतिविशिष्ट मानी जाती हैं. इन तिथियों को लेकर लोगों की विशेष आस्था भी होती है. इन्हीं तिथियों में से एक है पूर्णिमा की तिथि. इस तिथि का अपना विशेष महत्व है इसकी वजह है कि चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होता है.
शात्रों की मानें तो इस दिन स्नान, दान और व्रत करने का भी खास महत्व होता है. खास बात यह है कि चैत्र के महीने में आने वाली पूर्णिमा को नव वर्ष की पहली पूर्णिमा भी कहा जाता है, लिहाजा इस दिन को और भी अहम माना जाता है.
इस बार यानी 23 अप्रैल 2024 को चैत्र पूर्णिमा पर एक विशेष संयोग भी बन रहा है. एक तो इसी पूर्णिमा पर हनुमान जयंती मनाई जा रही है और दूसरा इस खास तिथि पर आसमान भी अपने अलग अंदाज में नजर आने वाला है. आमतौर पर आसमानी दिखने वाला आकाश इस विशेष संयोग पर ‘फुल पिंक मून’ दिखाई देगा.
गुलाबी नहीं होगा आसमान
दरअसल पिंक मून से शायद आप समझ रहे होंगे कि इस दिन आकाश पिंक दिखाई देने लगेगा है. लेकिन ऐसा नहीं है. अप्रैल के महीने में आने वाली पूर्णिमा के चांद को पिंक मून कहा जाता है.
क्यों कहा जाता है पिंक मून
अप्रैल की पूर्णिमा पर चांद को पिंक मून कहने के पीछे कनाडा और अमेरिका का कनेक्शन है. दरअसल यहां पर खिलने वाले एक फूल के नाम पर इसका नाम रखा गया है. वहां के एक फूल का नाम मॉस पिंक है, इसी से मून के पिंक मून कहा जाता है.
क्या कहते हैं वैज्ञानिक
वैज्ञानिकों की मानें तो इस पूर्णिमा पर चांद का रंग थोड़ा बदल जाता है. इस दिन चंद्रमा आम दिनों के मुकाबले थोड़ा सिल्वर और गोल्डन नजर आता है. यही नहीं इस दिन चांद धरती के काफी करीब भी होता है. यही वजह है कि इस दिन चांद अन्य दिनों की तुलना में ज्यादा चमकीला और बड़ा दिखाई देता है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक अप्रैल में आने वाली पूर्णिमा पर चांद की चमक आम दिनों के मुकाबले 30 फीसदी बढ़ जाती है. जबकि इसके आकार में भी 14 प्रतिशत तक इजाफा देखने को मिलता है.
ये पिंक मून देखने का सही वक्त
वैज्ञानिकों की मुताबिक पिंक मून मंगलवार 23 अप्रैल को सुबह 3.24 से दिखना शुरू हो गया है. लेकिन इसे बुधवार को सुबह 5.18 बजे तक देखा जा सकता है. लेकिन इसे भारत में सही देखने के लिए शाम 7.30 से 10 बजे तक का वक्त उपयुक्त है. खास बात यह है कि इस दौरान मून को नंगी आंखों से देखा जा सकता है.