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नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा-आराधना के साथ शारदीय नवरात्र का होता है समापन

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आज राम नवमी है. देशभर में मां के मंदिरों में भक्त दर्शन कर आशीर्वाद ले रहे हैं. नवरात्र के आखिरी दिन मां अपने भक्तों से विदा लेती हैं. मान्‍यता है कि नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा धरती पर आतीं हैं और फिर वापस अपने लोक के लिए प्रस्‍थान कर जाती हैं, जाते समय वे अपने भक्‍तों को सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद देकर जाती हैं.

नवमी के साथ नवरात्रों का समापन होता है. हिंदू शास्त्र में नवरात्रि की नवमी तिथि का खास महत्व है. यह पूजा की अंतिम तिथि होती है. इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है. मां सिद्धि के स्वरूप की बात करें तो उनकी चार भुजाएं हैं. वे लाल रंग के वस्त्र पहने हुए कमल के आसन पर विराजमान हैं.

उनके एक हाथ में चक्र, दूसरे में गदा, तीसरे हाथ में शंख और चौथे हाथ में कमल पुष्प है. मान्यता है कि सिद्धिदात्री की आराधना करने से माता हर मनोकामना को शीघ्र पूर्ण कर देती हैं. नवरात्रि में व्रत रखने वाले भक्त इस दिन कन्या पूजन भी करते हैं. शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है.

नवरात्रि का आखिरी दिन (नवमी या राम नवमी) काफी महत्व रखता है, इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को विशेष सिद्धियों की प्राप्ति होती है. कहा जाता है कि भोले शंकर महादेव ने भी सिद्धि प्राप्त करने के लिए मां सिद्धिदात्री की तपस्या की थी.

कहते हैं कि नवरात्रि के अन्य सभी दिनों के बराबर पुण्य लाभ केवल महानवमी के दिन व्रत रखते हुए मां सिद्धिदात्री की पूजा आराधना से ही प्राप्त होता है. बता दें कि मां सिद्धिदात्री का यह है मंत्र, या देवी सर्वभू‍तेषु सिद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम: का जाप किया जाता है.

इस तिथि को कई जगहों पर लोग पंडालों में मां दुर्गा की भव्य प्रतिमाएं देखने जाते हैं. वहीं कई जगह आज के दिन नवमी हवन का आयोजन भी कराया जाता है. नवमी के दिन लोग अपने घरों में कन्या पूजन करते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं. इस दिन विधि-विधान से कन्या पूजन करने पर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं.

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