आज हमारे देश का मतदाता शिक्षित और बहुत समझदार है. मौजूदा समय में राजनीतिक दलों के नेताओं को उन्हें अपने पाले में लाने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ रही है. एक दौर ऐसा भी था जब अशिक्षित वोटर नेताओं के लोकलुभावन वादों में फंस जाते थे, लेकिन आज मतदाता पूरी तरह से ठोक बजाकर फैसला करता है, कौन से प्रत्याशी का चुनाव गलत है या सही है. वह जानता है कि हमें देशहित में क्या फैसला लेना है.
‘किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में वोटर का सबसे बड़ा हथियार और अधिकार वोट देने का माना जाता है, क्योंकि एक-एक वोट से सरकारें बनती हैं. मतदाता के पास वह ताकत होती है कि वह सरकार बना भी सकता है और बदल भी सकता हैै’. जी हां आज 25 जनवरी है. इस दिन देश में राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है.
इस लोकतांत्रिक मौके पर प्रत्येक नागरिक को अपने राष्ट्र के सभी चुनावों में भागीदारी की शपथ लेनी चाहिए, क्योंकि भारत के प्रत्येक व्यक्ति का वोट ही देश के भावी भविष्य की नींव रखता है. राष्ट्रीय मतदाता दिवस का भारत में अपना ही महत्व है क्योंकि देश का भविष्य आने वाले नेता के चुनाव में निहित रहता है, इन नेताओं को हम वोट देकर चुनते हैं. बता दें कि देश में जितने भी चुनाव होते हैं, उनको निष्पक्षता से संपन्न कराने की जिम्मेदारी निर्वाचन आयोग की होती है.
25 जनवरी 1950 को भारत के चुनाव आयोग की स्थापना दिवस को मनाने के लिए 2011 से हर साल 25 जनवरी को राष्ट्रीय मतदाता दिवस मनाया जाता है. इस उत्सव का मुख्य उद्देश्य नए मतदाताओं को प्रोत्साहित करना, सुविधा प्रदान करना, अधिकतम नामांकन करना है, इसके साथ मतदाताओं में जागरूकता फैलाने और चुनावी प्रक्रिया में सूचित भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है.
जैसा कि आप लोगों को मालूम होगा पहले मतदाता की पात्रता आयु 21 वर्ष थी लेकिन 1988 में इसे घटाकर 18 साल कर दिया गया था. मौजूदा समय में भारत में वोटिंग के लिए 18 साल की आयु निर्धारित है. इसके बाद वह सभी प्रकार के लोकतांत्रिक चुनावों में वोट डाल सकता है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार