हर साल के सितंबर महीने के आखिरी रविवार को डॉटर्स डे यानी बिटिया दिवस मनाया जाता है. इस वर्ष 26 सितंबर डॉटर्स डे मनाया जाएगा. बिटिया दिवस मनाने के पीछे मुख्य उद्देश्य है बेटियों को भी बेटे के समान ही महत्व व सम्मान दिया जाए.
इस खास दिन पर बेटियों को उनकी उपलब्धियों और उनके महत्व के बारे में बताया जाता है. साथ ही बेटियों को यह अहसास कराया जाता है कि वह बेटों से किसी भी तरह कम नहीं है. जिन परिवारों में बेटियां होती है, उन्हें माता-पिता कोई उपहार देते हैं. उनके साथ जश्न मनाते हैं.
डॉटर्स डे का इसलिए है महत्व
भारत में बेटियों को अलग महत्व दिया जाता है. बीते जमाने में बेटियों का बचपन में ही हाथ पीले कर दूसरे घर भेज दिया जाता था. उनकी भूमिका सिर्फ रसोई घर तक सीमित रह जाती थी.
देश में आज भी कई स्थानों पर आंशिक रूप से यह कुप्रथा जारी है, लेकिन एक बड़े तबके की सोच बदल चुकी है, इसलिए लोगों को जागरूक करने के लिए भी बेटी दिवस का काफी महत्व है.
डॉटर्स डे मनाना क्यों है जरूरी?
पुत्रप्रधान समाज में आज भी बेटियों की जगह बेटे को ही खास मुकाम हासिल है. हालांकि बड़े शहरों में यह मामले कम है, लेकिन अभी भी कई देशों में इस तरह के मामलों में कमी नहीं आई है. कुछ लोग अपना परिवार बढ़ाने के लिए सिर्फ बेटे की ही चाहत रखते हैं जो शिशु हत्या का सबसे बड़ा कारण है. लोगों की मानसिकता इस हद तक गिर जाती है कि घर में बेटी होने पर वो मां को प्रताड़ित करने से बाज़ नहीं आते.
डॉटर्स डे का इतिहास:
समाज में लड़के और लड़कियों के बीच की गहरी खाई को पाटने की पहल संयुक्त राष्ट्र ने की. लड़कियों के महत्व को समझते हुए उन्हें सम्मान देने के लिए संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार 11 अक्टूबर 2012 को एक दिन बेटियों को समर्पित किया. संयुक्त राष्ट्र की इस पहल का स्वागत दुनिया भर के देशों ने किया. इसके बाद से ही हर देश में बेटियों के लिए एक दिन समर्पित किया गया है. डॉटर्स डे हर देश में अलग-अलग दिन मनाया जाता है.
अंतर्राष्ट्रीय डॉटर्स डे का महत्व:
परिवार के सदस्यों के साथ संबंध बनाए रखने में एक बेटी का अहम किरदार है. जिस समाज में महिलाओं को पुरूष से कमतर माना जाता है उस समाज में बदलाव लाने के लिए इस दिन की खास अहमियत है.