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Field Marshal Sam Manekshaw Birthday: भारत का वह बहादुर सपूत, जिससे इंदिरा गांधी भी खाती थीं खौफ

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Field Master Sam Manekshaw
फील्‍ड मार्शल सैम मानेकशॉ (फाइल)

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के महानायक सैम मानेकशॉ का आज बर्थडे है. वो अगर जिंदा होते तो आज 107 साल के होते. उन्होंने 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत का नेतृत्व किया था. वो युद्ध जिसमें पकिस्तन बुरी तरह हारा और बांग्लादेश का जन्म हुआ.

वो भारतीय सेना के पहले 5-स्टार जनरल थे. साथ ही वे पहले ऑफिसर थे, जिन्हें सेना में फील्ड मार्शल की रैंक पर प्रमोट किया गया था. उनकी लोकप्रियता इतनी थी कि एक समय इंदिरा गांधी को उनसे डर लगने लगा था. आइए, जानते हैं मानेकशॉ के बहादुरी के कुछ किस्से

अप्रैल 1971 में इंदिरा गांधी ने मानकेशॉ से पूछा था कि क्‍या वह पाकिस्‍तान के साथ जंग के लिए तैयार हैं? तो सैम ने जवाब दिया कि अगर अभी इंडियन आर्मी युद्ध के लिए जाती है तो हार तय है. उनके इस जवाब पर इंदिरा गांधी काफी नाराज हो गई थीं.

उन्‍हें नाराज देखकर सैम ने इस्तीफे की पेशकश कर दी और कहा, ‘मैडम प्राइम मिनिस्‍टर आप मुंह खोले इससे पहले मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि आप मेरा इस्‍तीफा मानसिक, या शारीरिक या फिर स्‍वास्‍थ्‍य, किन आधार पर स्‍वीकार करेंगी?’ हालांकि इंदिरा ने इस्तीफे की पेशकश ठुकरा दी और फिर उनकी ही सलाह लेकर जंग की नई तारीख तय की.

इसके लगभग 7 महीने बाद उन्होंने तैयारी पूरी करके बांग्लादेश का युद्ध लड़ा. युद्ध से पहले जब इंदिरा गांधी ने उनसे भारतीय सेना की तैयारी के बारे में पूछा तो उन्होंने जवाब दिया, ‘मैं हमेशा तैयार हूं, स्वीटी.’

1971 के भारत-पाकिस्तान की लड़ाई के बीच में ही प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दिमाग में ये बात बैठ गई थी कि मानेकशॉ आर्मी की मदद से तख्तापलट की कोशिश करने वाले हैं. इस पर मानेकशॉ ने सीधे जाकर इंदिरा गांधी से कह दिया कि- ‘मैडम? आपकी नाक लंबी है. मेरी नाक भी लंबी है, लेकिन मैं दूसरों के मामलों में नाक नहीं घुसाता हूं.’

मानेकशॉ के बारे में एक किस्सा काफी प्रचलित है. 1942 में बर्मा में जापान से लड़ते हुए उनके पैर में 7 गोलियां लग गई थीं. इसके बाद भी उनकी बहादुरी में कोई कमी नहीं आई थी. जब अस्पताल में डॉक्टर ने उनसे इस बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘मुझे खच्चर ने लात मार दी है.

सेना की गोरखा रेजिमेंट पर उनका कितना भरोसा था, यह उनके एक बयान से पता चलता है. एक बार उन्होंने गोरखा रेजिमेंट की तारीफ करते हुए कहा, अगर आपसे कोई कहता है कि वह मौत से नहीं डरता है तो वह या तो झूठा है या फिर गोरखा.

उनका शानदार मिलिट्री करियर ब्रिटिश इंडियन आर्मी से शुरू हुआ और 4 दशकों तक चला जिसके दौरान पांच युद्ध भी हुए.

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