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‘मिसाइल मैन’ की पुण्यतिथि पर विशेष : महान वैज्ञानिक कलाम ने देश को दी नई उर्जा, युवाओं के लिए उनके विचार रहेंगे प्रेरणा स्रोत

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पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम

जिंदगी तो सभी जीते हैं लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जो औरों के लिए जीते हैं. इनका सादगी भरा जीवन देश के लिए प्रेरणास्रोत रहा . ये राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए भी आम लोगों की तरह ही रहे.

इनके विचार आज भी युवाओं के लिए ‘आदर्श’ बने हुए है. हम बात कर रहे हैं महान वैज्ञानिक, मिसाइल मैन और पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम की. आज 27 जुलाई को डॉ कलाम की छठी पुण्यतिथि पर देश उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए उनके विचारों को याद कर रहा है.

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत कई नेताओं ने कलाम को श्रद्धांजलि दी. बात शुरू करते हैं डॉक्टर कलाम के महान विचारों से.

‘सपने वो नहीं हैं जो आप नींद में देखते हैं, सपने वो हैं जो आपको नींद नहीं आने देते’, ‘इंतजार करने वालों को सिर्फ उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं’, ‘अपने मिशन में कामयाब होने के लिए, आपको अपने लक्ष्य के प्रति एकचित्त निष्ठावान होना पड़ेगा’, ‘अगर आप सूरज की तरह चमकना चाहते हैं तो पहले आपको सूरज की तरह तपना होगा’.

उनके विचारों ने पूरे देश को एक नई ऊर्जा प्रदान की. बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था. इनका पूरा नाम अवुल पकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था. उन्होंने अपनी पढ़ाई सेंट जोसेफ कॉलेज, तिरुचिरापल्ली से की थी.

कलाम ने अर्श से फर्श तक का सफर तय करने के लिए काफी मेहनत की और कई मुश्किलों का डटकर सामना भी किया . ‘उन्हें जनता का राष्ट्रपति कहा जाता था’. जनवादी राष्ट्रपति, जिन्होंने विज्ञान से लेकर राजनीति तक कई क्षेत्रों में अमिट छाप छोड़ी’ . कलाम न सिर्फ एक राजनेता, एयरोस्पेस साइंटिस्ट थे, बल्कि एक शिक्षक भी थे.

वो चाहते थे कि दुनिया उन्हें एक शिक्षक के तौर पर याद करे. बता दें कि 1992 से 1999 तक कलाम रक्षामंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे. इस दौरान अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया. यही वजह है कि उन्हें ‘मिसाइल मैन’ कहा जाता है. पोखरण परमाणु परिक्षण में डॉ. कलाम ने अहम भूमिका निभाई थी. डॉ कलाम भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार भी रहे.

कलाम को 1981 में भारत सरकार ने पद्म भूषण और फिर, 1990 में पद्म विभूषण और 1997 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया. भारत के सर्वोच्च पद पर नियुक्ति से पहले भारत रत्न पाने वाले कलाम देश के केवल तीसरे राष्ट्रपति हैं. उनसे पहले यह मुकाम सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन ने हासिल किया था. ‘डॉ कलाम सभी पार्टियों सब धर्मों में लोकप्रिय रहे’. वह अग्नि और पृथ्वी मिसाइल के विकास और संचालन के प्रमुख थे.

राष्ट्रपति रहते हुए भी डॉक्टर कलाम बेहद साधारण जिंदगी जीते थे
मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम अपनी सादगी पूर्ण जीवन के लिए जाने जाते थे. वे बेहद साधारण पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखते थे और जमीन और जड़ों से जुड़े रहकर उन्होंने ‘जनता के राष्ट्रपति’ के रूप में लोगों के दिलों में अपनी खास जगह बनाई .

‘राष्ट्रपति रहते हुए भी उन्होंने अपने जीवन में बदलाव नहीं किया, यही उनको महान बनाता था . उन्होंने 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की. समाज के सभी वर्गो और विशेषकर युवाओं के बीच प्रेरणा स्रोत बने डॉ. कलाम ने राष्ट्राध्यक्ष रहते हुए राष्ट्रपति भवन के दरवाजे आम जन के लिए खोल दिए जहां बच्चे उनके विशेष अतिथि होते थे. वह भारत के पहले राष्ट्रपति थे जो अविवाहित और शाकाहारी थे.

‘कलाम को सूट पहनना पसंद नहीं था, इसलिए वो औपचारिक कार्यक्रमों में जाने से बचते थे’. उन्हें जनता का राष्ट्रपति कहा जाता था. उन्हें ऐसे कपड़े नहीं पसंद थे, जिसमें खुद को सहज नहीं पाते थे. पूर्व राष्ट्रपति डॉ कलाम को भारत और विदेश के 48 विश्वविद्यालयों और संस्थानों से मानद डॉक्टरेट से सम्मानित किया गया था. पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम अपने आखिरी समय तक देश के लिए सोचते रहे.

अब्दुल कलाम का 27 जुलाई, 2015 को शिलॉन्ग में निधन हो गया, वे आईआईएम में लेक्चर देने गए थे. यहां हम आपको बता दें कि उनकी अंतिम यात्रा (जनाजे) में मुस्लिमों से अधिक हिंदुओं की संख्या थी.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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