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‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड में पीएम मोदी ने प्रेरणादायक कहानियों के साथ की विकास की बात, बोले- मन की बात मेरे लिए पूजा है

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि मुझे आप सबकी हजारों चिट्ठियां मिली हैं, लाखों सन्देश मिले हैं और मैंने कोशिश की है कि ज्यादा से ज्यादा चिट्ठियों को पढ़ पाऊं, देख पाऊं, संदेशों को जरा समझने की कोशिश करूं.

पीएम मोदी ने कहा कि आपके पत्र पढ़ते हुए कई बार मैं भावुक हुआ, भावनाओं से भर गया, भावनाओं में बह गया और खुद को फिर संभाल भी लिया. आपने मुझे ‘मन की बात’ के 100वें एपिसोड पर बधाई दी है, लेकिन मैं सच्चे दिल से कहता हूं, दरअसल बधाई के पात्र तो आप सब ‘मन की बात’ के श्रोता हैं, हमारे देशवासी हैं. मन की बात कोटि-कोटि भारतीयों के मन की बात है. उनके भावनाओं का प्रकटीकरण है.

पीएम मोदी ने कहा कि 3 अक्टूबर 2014 को विजया दशमी का वो पर्व था और हम सबने मिलकर विजया दशमी के दिन ‘मन की बात’ की यात्रा शुरू की थी. विजया दशमी यानी, बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व, ‘मन की बात’ भी देशवासियों की अच्छाइयों का सकारात्मकता का एक अनोखा पर्व बन गया है. एक ऐसा पर्व, जो हर महीने आता है, जिसका इंतजार हम सभी को होता है.

पीएम मोदी ने कहा कि ‘मन की बात’ जिस विषय से जुड़ा वो जन-आंदोलन बन गया और उसे जन-आंदोलन आप लोगों ने बनाया. जब मैंने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ साझा ‘मन की बात’ की थी, उसकी चर्चा पूरे विश्व में हुई थी. ‘मन की बात’ मेरे लिए दूसरों के गुणों की पूजा करने के जैसा ही रहा है.

नरेंद्र मोदी ने कहा कि कई बार यकीन नहीं होता कि ‘मन की बात’ को इतने महीने और इतने साल गुजर गए. हर एपिसोड अपने-आप में खास रहा. हर बार नए उदाहरणों की नवीनता, हर बार देशवासियों की नई सफलताओं का विस्तार.

पीएम मोदी ने कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान की शुरुआत मैंने हरियाणा से ही की थी. ‘सेल्फी विद डॉटर’ अभियान ने मुझे बहुत प्रभावित किया और मैंने अपने एपिसोड में इसका जिक्र किया. जल्द ही यह ‘सेल्फी विद डॉटर’ अभियान वैश्विक हो गया. इस अभियान का मकसद लोगों को जीवन में बेटी के महत्व को समझाना था. उन्होंने कहा कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान से हरियाणा में लिंगानुपात में सुधार हुआ है.

पीएम मोदी ने कहा कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात हो या स्वच्छ आंदोलन की, खादी के प्रति प्रेम हो या प्रकृति की बात, आजादी का अमृत महोत्सव हो या फिर अमृत सरोवर की बात. मन की बात जिस विषय से जुड़ा, वो जन आंदोलन बन गया और देश की जनता ने इसे बना दिया.

पीएम मोदी ने कहा कि जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था तो वहां सामान्य जन से मिलना जुलना स्वाभाविक रूप से हो ही जाता था. मुख्यमंत्री का कामकाज और कार्यकाल ऐसा ही होता है, मिलने जुलने के अवसर बहुत ही मिलते हैं. लेकिन 2014 में दिल्ली आने के बाद मैंने पाया कि यहां का जीवन तो बहुत अलग है. काम का स्वरूप अलग, दायित्व अलग, स्थितियां अलग, सुरक्षा का तामझाम और समय की सीमा. शुरुआती दिनों में कुछ अलग महसूस करता था, खाली-खाली सा महसूस करता था.

पचासों साल पहले मैंने अपना घर इसलिए नहीं छोड़ा था कि एक दिन अपने ही देश के लोगों से संपर्क ही मुश्किल हो जाएगा. जो देशवासी मेरा सबकुछ हैं, मैं उनसे ही कट करके जी नहीं सकता था. मन की बात ने मुझे इसे चुनौती का समाधान दिया, सामान्य मानवी से जुड़ने का रास्ता दिया. पदभार और प्रोटोकॉल व्यवस्था तक ही सीमित रहा और जनभाव कोटि-कोटि जनों के साथ, मेरे भाव, विश्व का अटूट अंग बन गया.

‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमने ‘मेक इन इंडिया’ के अनेक उदाहरणों से लेकर ‘स्पेस स्टार्टअप’ तक की चर्चा ‘मन की बात’ में की है. ‘मन की बात’ की एक और विशेषता रही है. इसके जरिए ना जाने कितने ही जन-आंदोलन ने जन्म भी लिया है और गति भी पकड़ी है जैसे हमारे खिलौने. हमारे खिलौने की इंडस्ट्री को फिर से स्थापित करने का मिशन भी तो मन की बात से ही शुरू हुआ था. हमारे देश के स्वान को लेकर भी जागरूकता बढ़ाने की भी शुरूआत हुई.

पीएम मोदी ने कहा कि आज देश में पर्यटन बहुत तेजी से बढ़ रहा है. हमारे ये प्राकृतिक संसाधन हों, नदियां, पहाड़, तालाब या फिर हमारे तीर्थ स्थल हों, उन्हें साफ रखना बहुत जरूरी है. ये पर्यटन इंडस्ट्री की बहुत मदद करेगा. पर्यटन में स्वच्छता के साथ-साथ हमने अतुल्य भारत आंदोलन की भी कई बार चर्चा की है. इस आंदोलन से लोगों को पहली बार ऐसे कितनी ही जगहों के बारें में पता चला जो उनके आस-पास ही थे.

उन्होंने कहा कि बात शिक्षा की हो या संस्कृति की, उसके संरक्षण की हो या संवर्धन की, भारत की यह प्राचीन परंपरा रही है. इस दिशा में आज देश जो काम कर रहा है, वो वाकई बहुत सराहनीय है. NEP हो या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का विकल्प हो, शिक्षा में तकनीक एकीकरण हो, आपको ऐसे अनेक प्रयास देखने को मिलेंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरा अटूट विश्वास है कि सामूहिक प्रयास से बड़े से बड़ा बदलाव लाया जा सकता है. इस साल हम जहां आजादी के अमृतकाल में आगे बढ़ रे हैं, वहीं G20 की अध्यक्षता भी कर रहे हैं. यह भी एक वजह है कि शिक्षा के साथ-साथ को विविध वैश्विक संस्कृति भी समृद्ध करने के लिए हमारा संकल्प और मजबूत हुआ है.


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