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दूरदर्शन दिवस विशेष: देश में टेलीविजन प्रसारण के 62 साल, आओ सुनहरे दिनों को करें याद

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प्रसारण के क्षेत्र में आज देश के लिए बहुत ही ‘गौरव’ का दिन है. साथ ही एक ऐसा ‘हमसफर’ जो 62 सालों से हमारे साथ आज भी जुड़ा हुआ है. करोड़ों लोगों की बचपन की सुनहरी यादों का यह ‘साक्षी’ भी रहा है. आज 15 सितंबर है. यह तारीख देश के लिए इसलिए खास है क्योंकि आज से 62 साल पहले 1959 में राजधानी दिल्ली से ‘दूरदर्शन’ के प्रसारण की शुरुआत हुई थी.

तब से लेकर अब तक इसने लंबा ‘सफर’ तय किया है. ‘भारत में दूरदर्शन ने ही पहली बार टीवी पर चित्र उकेरे थे, इसी के साथ देश में टेलीविजन के इतिहास की कहानी भी शुरू हुई’. आज भी दूरदर्शन का नाम सुनते ही अतीत के कई ‘गुदगुदाते पल’ याद आ जाते हैं. बता दें कि शुरुआत में दूरदर्शन पर हफ्ते में केवल 3 दिन ही प्रोग्राम ब्रॉडकास्ट किए जाते थे, वो भी केवल आधे घंटे के लिए.

भारत में दूरदर्शन की शुरुआत एक्सपेरिमेंट के तौर पर हुई थी और इसका नाम ‘टेलीविजन इंडिया’ दिया गया था. वर्ष 1965 से दूरदर्शन ने अपना प्रसारण रोजाना शुरू कर दिया. पांच मिनट के समाचार बुलेटिन का आगाज भी इसी साल हुआ. उसके बाद 10 वर्ष तक दूरदर्शन धीरे-धीरे अपनी गति में आगे बढ़ता रहा.‌ 1975 तक यह सिर्फ 7 शहरों तक ही सीमित था.

इसी वर्ष इसका हिंदी नामकरण ‘दूरदर्शन’ से किया गया. 1982 का साल भारत में टीवी के लिए अहम था. इसी साल दूरदर्शन ने ‘इनसैट-1’ के जरिए पहली बार नेशनल ब्रॉडकास्ट किया. इसके बाद दूरदर्शन पर होने वाले मनोरंजन, धारावाहिक और टेलीविजन पर दिखाई जाने वाली फिल्में समेत आदि कार्यक्रम घर-घर में ‘लोकप्रिय’ हो गए. लेकिन दो दशकों से देश में निजी चैनलों की बाढ़ आ गई है, उसके बावजूद दूरदर्शन का महत्व कम नहीं हुआ.‌

साल 2020 में देश में कोरोना महामारी फैलने के बाद लगाए गए लॉकडाउन में केंद्र सरकार ने एक बार फिर से दूरदर्शन को देशवासियों से जोड़ दिया था. 90 दशक के पुराने और लोकप्रिय धारावाहिक ‘रामायण और महाभारत’ का प्रसारण दूरदर्शन पर किया. इन धारावाहिकों को देख लाखों लोगों ने यादें ताजा की. आइए आज दूरदर्शन दिवस पर कुछ पुरानी यादों को ताजा करें.

दूरदर्शन प्रसारण में साल 1982 महत्वपूर्ण, देश में ‘कलर टेलीविजन’ की हुई थी शुरुआत
आपको बता दें कि दूरदर्शन की विकास यात्रा शुरू में काफी धीमी थी. इसके पीछे कई कारण थे. ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता और खराब बिजली व्यवस्था का अभाव और सरकारों का दूरदर्शन को बढ़ाने में ज्यादा रुचि न लेना, आदि कारण रहे.

लेकिन वर्ष 1982 में ऐसा वर्ष था जो दूरदर्शन की विकास यात्रा को गति देने के लिए जाना जाता है. इस वर्ष नई दिल्ली में आयोजित हुए ‘एशियाई खेलों’ के प्रसारण ने भारत में दूरदर्शन की दिशा में ‘क्रांति’ ला दी थी.

1982 में ही देश में रंगीन (कलर) टेलीविजन बाजार में आ गए थे. इससे दूरदर्शन के दर्शकों में इसके प्रति दीवानगी अचानक बढ़ गई थी. 80 के दशक में पूरा देश दूरदर्शन पर प्रसारित कार्यक्रमों को देखकर अपना मनोरंजन करते थे. उस दौर में टेलीविजन ही मनोरंजन करने का सस्ता साधन हुआ करता था. अपने मनपसंद कार्यक्रमों और धारावाहिकों के लिए देशवासी एक सप्ताह तक इंतजार करते थे.

टेलीविजन पर चित्रहार, सिनेमा, धारावाहिक और अन्य कार्यक्रमों को देखने के लिए लोग अपने महत्वपूर्ण काम भी छोड़ दिया करते थे. यही नहीं कई बड़े फिल्म स्टारों ने भी अपनी यात्रा टेलीविजन से ही शुरू की थी. शाहरुख खान, इरफान खान, पंकज कपूर, विद्या बालन, राकेश बेदी, मंदिरा बेदी, और मुकेश खन्ना आदि ऐसे कलाकार रहे जो दूरदर्शन से ही निकलकर बॉलीवुड के बड़े स्टार बने.

रामायण-महाभारत के प्रसारण से दूरदर्शन की लोकप्रियता तेजी के साथ बढ़ी
हम बात करेंगे रामानंद सागर द्वारा निर्मित ‘रामायण’ धारावाहिक की. वर्ष 1986 में धारावाहिक रामायण का टेलीविजन पर प्रसारण किया गया था. रामायण देखने के लिए लोग एक सप्ताह इंतजार करते थे. उसके बाद वर्ष 1988 में फिल्म डायरेक्टर बीआर चोपड़ा ने दूरदर्शन पर धारावाहिक महाभारत का प्रसारण शुरू किया. ‘इन दोनों धारावाहिकों ने देश में टेलीविजन देखने वालों का एक नया दर्शक तैयार कर दिया था’.‌

उस दौर में रामायण और महाभारत के प्रसारण के दौरान देश की सड़कों पर सन्नाटा पसर जाता था.‌ उसके बाद धारावाहिक हम लोग, बुनियाद, नुक्‍कड़, यह जो है जिंदगी, शांति और शक्तिमान जैसे कार्यक्रमों ने दूरदर्शन की लोकप्रियता को बुलंदियों पर पहुंचा दिया. इसके साथ ही ‘चित्रहार’ और हर रविवार को सुबह प्रसारित होने वाली ‘रंगोली’ को भी नहीं भूल पाएंगे. वर्ष 1990 के बाद दूरदर्शन ने अपने लोकप्रिय ‘मेट्रो चैनल’ की शुरुआत की थी.

मेट्रो ने कम समय में ही लोगों को अपना दीवाना बना लिया था. अगर विज्ञापनों की बात करें तो ‘मिले सुर मेरा तुम्हारा’ जहां लोगों को एकता का संदेश देने में कामयाब रहा, वहीं बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर-हमारा बजाज से अपनी व्यावसायिक क्षमता का लोहा भी मनवाया.

उस दौर में दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले लोकप्रिय विज्ञापन आज भी लोगों के जेहन में बसे हुए हैं. आपको बता दें कि तीन नवंबर 2003 में दूरदर्शन का 24 घंटे चलने वाला समाचार चैनल शुरू किया गया था. मौजूदा समय में दो राष्‍ट्रीय और 11 क्षेत्रीय चैनलों के साथ दूरदर्शन के 21 चैनल प्रसारित होते हैं.

शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार

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