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यूक्रेन के विदेश मंत्री ने पीएम मोदी से रूस से जंग रुकवाने का किया आग्रह

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यूक्रेन ने रूस के साथ जारी युद्ध पर विराम के लिए एक बार फिर भारत से अपील की है. यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से रूसी राष्ट्रपति को समझाने और उनसे बातचीत जारी रखने की अपील की है. दिमित्रो कुलेबा ने कहा कि भारत में रूसी दूतावास पर भारतीय लोग दबाव बनाकर रूस से युद्ध रोकने की मांग कर सकते हैं.

यूक्रेन केवल इसलिए लड़ रहा है क्योंकि हम पर हमला किया गया था और हमें अपनी जमीन की रक्षा करनी है. पुतिन हमारे अस्तित्व के अधिकार को नहीं पहचानते हैं. भारत के साथ विशेष संबंधों को साझा करने वाले सभी देश प्रधानमंत्री मोदी से अपील कर सकते हैं कि वह राष्ट्रपति पुतिन से संपर्क करना जारी रखें और उनको समझाएं कि यह युद्ध किसी के हित में नहीं है. रूस के लोगों को भी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है.

उन्होंने कहा कि 30 सालों से यूक्रेन अफ्रीका, एशिया के हजारों छात्रों के लिए एक स्वागत योग्य घरहै. उनके (विदेशी छात्रों) मूवमेंट को सुविधाजनक बनाने के लिए यूक्रेन ने ट्रेनों की व्यवस्था की, हॉटलाइन स्थापित की, दूतावासों के साथ काम किया, यूक्रेनी सरकार अपनी पूरी कोशिश कर रही है.

यूक्रेन के विदेश मंत्री ने दावा किया कि रूस उन देशों की “सहानुभूति जीतने” की कोशिश कर रहा है जिनके यूक्रेन में विदेशी नागरिक हैं. उन्होंने कहा कि मैं भारत, चीन और नाइजीरिया की सरकारों से कहता हूं कि वो रूस से फायरिंग रोकने और नागरिकों को जाने की अनुमति देने की अपील करें.

कुलेबा ने कहा कि भारत सहित सभी देश जो रूस के साथ विशेष संबंध रखते हैं वो रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से अपील कर सकते हैं कि यह युद्ध सभी के हित के खिलाफ है. यह तर्क देते हुए कि संघर्ष का अंत सभी देशों के सर्वोत्तम हित में है उन्होंने कहा कि भारत यूक्रेन के कृषि उत्पादों के सबसे बड़े उपभोक्ताओं में से एक है और यदि यह युद्ध जारी रहता है, तो हमारे लिए नई फसल बोना मुश्किल होगा.

इसलिए, यहां तक कि वैश्विक और भारतीय खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में भी इस युद्ध को रोकना ही सर्वोत्तम हित में है. उन्होंने आम भारतीयों से युद्ध रोकने की मांग करने के लिए रूस पर दबाव बनाने का आह्वान किया. कुलेबा ने कहा कि यूक्रेन केवल इसलिए लड़ रहा है क्योंकि हम पर हमला किया गया था और हमें अपनी भूमि की रक्षा करनी है क्योंकि पुतिन हमारे अस्तित्व के अधिकार को नहीं पहचानते हैं.

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