महत्वपूर्ण बात यह कि तीरथ को मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में आगे नहीं माना जा रहा था. मुख्यमंत्री पद की दौड़ में धन सिंह रावत, केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, सांसद अजय भट्ट और अनिल बलूनी के नामों की चर्चा थी.
त्रिवेंद्र सिंह रावत का पार्टी के अंदर भारी विरोध के बाद भाजपा हाईकमान किसी सर्वमान्य और संघ के मानकों पर खरे उतरने वाले नेता की तलाश शुरू हुई तो केवल तीरथ सिंह रावत का ही नाम ऐसा था, जिस पर किसी को आपत्ति नहीं थी. दो बार उत्तराखंड भाजपा के अध्यक्ष रह चुके तीरथ सिंह रावत का कार्यकाल हमेशा ही निर्विवाद रहा. उनकी सबसे बड़ी खूबी यह रही कि हमेशा विवादों से दूर रहे और भाजपा के सभी गुटों को साथ लेकर चले.
भाजपा के वरिष्ठ विधायकों के विरोध के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत की पसंद माने जा रहे धन सिंह रावत सीएम पद की दौड़ से बाहर हो गए. बता दें कि गढ़वाल के कलगीखल विकासखंड के सीरों में 9 अप्रैल 1964 को जन्मे तीरथ सिंह छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए थे. वह हेमवती नंदन बहुगुना गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र संघ के अध्यक्ष भी रहे.
उन्होंने समाजशास्त्र में मास्टर डिग्री और पत्रकारिता का डिप्लोमा भी किया है.तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाले नेताओं में गिने जाते हैं. उन्हें लंबे समय से राज्य में जमीनी स्तर पर काम करने वाले नेता के तौर पर जाना जाता रहा है. संघ की पृष्ठभूमि वाले रावत संगठन के साथ ही भाजपा के कई महत्वपूर्ण पदों पर भी रहे हैं. संघ से जुड़े दायित्व निभाते हुए वह बीजेपी की मुख्यधारा की राजनीति में आए.
1997 में पहली बार वह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य रहे. (तब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश में ही था ) वह राज्य के मंत्री भी रह चुके हैं. साल 2012 में चौबटाखाल विधानसभा सीट से चुनाव जीते. साल 2013 से 2015 तक वह उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे. उसके बाद भाजपा हाईकमान ने चौबटाखाल से वर्ष 2017 में उनका टिकट काटकर कांग्रेस से भाजपा में आए सतपाल महाराज को दे दिया था.
इसके बावजूद तीरथ सिंह ने पार्टी में कोई विरोध नहीं किया था बल्कि और मेहनत के साथ संगठन के कामों में जुट गए. बाद में तीरथ सिंह रावत को भाजपा का राष्ट्रीय सचिव बना दिया गया. साल 2019 में भाजपा हाईकमान ने तीरथ सिंह रावत को पौढ़ी गढ़वाल से लोकसभा चुनाव लड़ाया गया और वो सांसद बन गए. बता दें कि नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत एक बार फिर चौबट्टाखाल से विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं.
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज सीएम तीरथ सिंह के लिए सीट खाली करेंगे. कैबिनेट मंत्री सतपाल को पौड़ी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ाया जाएगा. मालूम हो कि तीरथ रावत चौबट्टाखाल से पूर्व में विधायक रह चुके हैं. मौजूदा समय में मुख्यमंत्री तीरथ पौड़ी लोकसभा का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. संविधान के अनुसार किसी भी मुख्यमंत्री को छह महीने के अंदर विधानसभा या विधान परिषद में से किसी एक का सदस्य होना अनिवार्य है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार
सर्वमान्य नेता के रूप में उभर कर सामने आए तीरथ सभी पर पड़े भारी
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