देहरादून| उत्तराखंड में चल रही सियासी हलचल आखिर थमती नजर आ रही है. बीजेपी आलाकमान की तरफ से उत्तराखंड की कमान मिलने के बाद अब तीरथ सिंह यादव ने बुधवार को आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली.
बता दें कि नित्यानंनद स्वामी, भगत सिंह कोश्यारी, एनडी तिवारी, भुवन चंद्र खंडूरी, रमेश पोखरियाल निशंक, विजय बहुगुणा, हरीश रावत और त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद तीरथ सिंह रावत उत्तराखंड के 9वें सीएम बनें हैं. बुधवार सुबह देहरादून स्थित भाजपा कार्यालय में विधायक दल की बैठक में उन्हें नया नेता चुना गया.
इस मौके पर त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद तीरथ सिंह रावत को सीएम की कुर्सी सौंपे जाने के बाद उन्हें बधाई दी है. त्रिवेंद्र ने कहा कि तीरथ उनके छोटे भाई हैं. कहा कि उन्हें पूर्ण विश्वास है कि तीरथ के नेतृत्व में उत्तराखंड का चौमुखी विकास होगा.
राज्यपाल बेबीरानी मौर्य ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलवाई. सिंह ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का अभार प्रकट करते हैं. साथ ही उन्होंने त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपना बड़ा भाई बताया. रावत ने कहा कि उनका अब पूरा ध्यान राज्य की जनता के लिए दिन रात काम करना और उनके भरोसे पर खरा उतरना होगा.
आगे हैं कई चुनौतियां
तीरथ सिंह रावत के सामने कई चुनौतियां भी होंगी. जिनको पार पाना इतना आसान नहीं होगा. सांसद और बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत के सामने फिलहाल सबसे बड़ी चुनौती उपचुनाव जीत कर विधानसभा का सदस्य बनना होगी. इसके बाद ही वे सीएम की कुर्सी पर बरकरार रह सकते हैं. माना जा रहा है कि वे सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के बाद खाली हुई सीट से भी चुनाव लड़ सकते हैं.
पार्टी की अंदरूनी कलह खत्म करना
तीरथ सिंह के सामने एक बड़ी समस्या राज्य में पार्टी को संगठित रखना भी होगी. जिस तरह से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पद से इस्तीफा दिया उससे पार्टी में खेमेबंदी हो सकती है. ऐसे में चुनावों से पहले इस तरह की खेमेबंदी को रोकना भी बड़ी चुनौती साबित होगी. वहीं तीरथ सिंह के लिए काम करने को एक साल का ही समय बाकि है. उसमें भी किसी फैसले के लिए उनके पास महत 8 से 10 महीने का ही समय रहेगा.