कोलकाता| पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के सामने संकट गहराता जा रहा है. विधाननगर मेयर इन काउंसिल देवाशीष जाना के साथ आसनसोल के तीन पार्षदों ने पार्टी को अलविदा कह दिया है. बुधवार को इन सभी नेताओं ने राजधानी कोलकाता में बीजेपी की सदस्यता ले ली है.
बीते मंगलवार को ही दो बार के टीएमसी विधायक जीतेंद्र तिवारी ने भी टीएमसी का साथ छोड़ दिया था. तिवारी बंगाल बीजेपी प्रमुख दिलीप घोष की मौजूदगी में पार्टी में शामिल हो गए थे.
बुधवार का दिन भी तृणमूल कांग्रेस के लिए अच्छा नहीं रहा. आसनसोल से पार्टी के तीन पार्षद और विधाननगर मेयर इन काउंसिल देवाशीष ने बीजेपी का दामन थाम लिया है.
पार्टी में लगातार हो रहे दल-बदल के चलते राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने लगाता मुश्किलें बढ़ रही हैं. पार्टी के दिग्गज और पूर्व मंत्री रहे शुभेंदु अधिकारी के इस्तीफे के बाद लगातार टीएमसी नेता बागवत कर रहे हैं.
राज्य में सत्तारूढ़ टीएमसी के नेता बड़ी संख्या में भगवा दल का रुख कर रहे थे. ऐसे में कुछ ही दिनों पहले बीजेपी ने ऐलान किया था कि पार्टी अब बड़े स्तर पर टीएमसी नेताओं को शामिल नहीं करेगी.
बीजेपी का कहना है कि वे राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी की बी-टीम नहीं बनना चाहती है. हालांकि, इसके बाद बीजेपी ने यह साफ किया था कि स्थानीय नेतृत्व से चर्चा के बाद गिने-चुने टीएमसी नेताओं को ही पार्टी में शामिल किया जाएगा.
मंगलवार को बीजेपी में शामिल होने वाले टीएमसी नेता तिवारी ने बीते साल ही बगावत कर दी थी. एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार, बीजेपी ने बीते दिसंबर में उन्हें पार्टी में शामिल करने से मना कर दिया था. इसके बाद तिवारी शांत हुए.
भगवा दल में शामिल होने को लेकर उनका कहना है, ‘मैंने बीजेपी इसलिए जॉइन की, क्योंकि मैं राज्य के विकास के लिए काम करना चाहता था.’ तिवारी ने कहा ‘टीएमसी में रहकर पार्टी के लिए काम करना अब मुमकिन नहीं था.’
बीते कुछ दिनों में तृणमूल के कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है. इनमें से कई नेताओं ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. ममता का साथ छोड़ने वालों में पूर्व मंत्री शुभेंदु अधिकारी, क्रिकेटर लक्ष्मी रत्न शुक्ल, पूर्व सांसद सुनील मंडल, विधायक अरिंदम भट्टाचार्य और वैशाली डालमिया का नाम शामिल है. सीएम बनर्जी ने बीजेपी पर टीएमसी नेताओं को गलत तरीके से शामिल करने का आरोप लगाया है.