विश्व प्रसिद्ध पुरी की भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा इस बार भी बिना श्रद्धालुओं के निकाली जाएगी. यात्रा को निकाले जाने को लेकर 15 दिनों से मामला गरमाया हुआ था. आखिरकार आज सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के डेल्टा प्लस वैरिएंट के बढ़ते प्रकोप और तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए पूरे ओडिशा राज्य में रथ यात्रा को निकालने पर पाबंदी लगा दी है.
वहीं सुप्रीम कोर्ट ने पूरे राज्य में रथ यात्रा निकालने वाली दायर याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट के फैसले के बाद भक्तों में एक बार फिर मायूसी छा गई है. भगवान जगन्नाथ जी की रथयात्रा पुरी में इस साल 12 जुलाई से शुरू होगी. यह यात्रा कोविड की वजह से बिना श्रद्धालुओं के होगी. बता दें कि ओडिशा के धार्मिक शहर पूरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा को देखने के लिए देश विदेश से हर साल लाखों श्रद्धालु पहुंचते रहे हैं.
कोविड-19 महामारी के मद्देनजर राज्य सरकार ने केवल पुरी में ही रथ यात्रा निकालने की अनुमति दी है. सदियों से चली आ रही इस रथयात्रा के दौरान श्रीजगन्नाथजी, बलभद्रजी और सुभद्राजी रथ में बैठकर अपनी मौसी के घर, गुंडिचा मंदिर जाते हैं जो यहां से तीन किलोमीटर दूर है. आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को तीनों अपने स्थान पर आते हैं और मंदिर में अपने स्थान पर विराजमान होकर जाते हैं.
इस दौरान भक्तोंं की रथ खींचने की परंपरा रही है. हर साल पुरी में आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से रथयात्रा का एक बड़ा धार्मिक आयोजन होता है. पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास बेहद पुराना है. पिछले साल भी कोरोना की वजह से यह बिना श्रद्धालुओं के आयोजित हुआ था.
इस बार हजारों, लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा निकाले जाने को लेकर कोर्ट के फैसले पर निगाहें लगाए हुए थे. लेकिन एक बार फिर उन्हें निराशा हाथ लगी.