देश की सियासत में यूपी के बाद कोई दूसरा राज्य अगर सुर्खियों में है, तो वह गोवा है. गोवा की राजनीति में हर रोज हलचल देखने को मिल रही है, जोकि अमूमन दो दलों की सियासत वाला राज्य रहा है, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव से पहले गोवा की सियासत गर्मा रही है.
पहले आम आदमी पार्टी और फिर तृणमूल कांग्रेस ने गोवा में अपनी सियासत शुरू की, लेकिन कांग्रेस को अब भी सबसे ज्यादा झटके बीजेपी ही दे रही है. बीते दिनों टीएमसी और कांग्रेस के बीच गोवा में काफी जोर आजमाइश देखने को मिली थी.
पहले ममता बनर्जी ने और बाद में महुआ मोइत्रा ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा, लेकिन इस बीच सात दिसंबर यानी मंगलवार को बीजेपी ने कांग्रेस का एक और विधायक तोड़ लिया और इस तरह विधानसभा चुनावों के बाद सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी कांग्रेस के पास अब सिर्फ तीन विधायक बचे हैं. आइए जानते हैं कि गोवा में आखिर कैसे कांग्रेस बर्बाद होती गई.
गोवा कांग्रेस में टूट का सबसे ताजा मामला पार्टी विधायक और पूर्व सीएम रवि नाइक का है, जिन्होंने मंगलवार को राज्य विधानसभा से अपना इस्तीफा सौंप दिया. इससे पहले गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइज़िन्हो फलेरियो ने सितंबर में कांग्रेस विधायक के तौर पर इस्तीफा दे दिया था और फिर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे. रवि नाइक के इस्तीफे के बाद 40 सदस्यों वाली राज्य विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 3 हो गई है.
कैसे बर्बाद होती गई कांग्रेस?
दरअसल गोवा के 2017 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस 17 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. हालांकि, 13 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने तटीय राज्य में सरकार बनाने के लिए क्षेत्रीय दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ गठबंधन किया. तब से, कांग्रेस के कई विधायक पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. इस बीच, चोडानकर ने दावा किया कि नाइक के पार्टी छोड़ने से कांग्रेस को कोई नुकसान नहीं होगा, क्योंकि वह ‘पार्टी में सिर्फ कहने के लिए मौजूद थे.’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘उनका एक पैर पहले से ही बीजेपी में था. उन्होंने पहले अपने बेटों को बीजेपी में भेजा था.’
2017 के राज्य विधानसभा चुनावों के बाद से, कई कांग्रेस विधायकों ने पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए. वालपोई विधायक विश्वजीत राणे ने सबसे पहले कांग्रेस से इस्तीफा दिया था. बाद में वह बीजेपी में शामिल हो गए और इस सीट से उपचुनाव जीत लिया. राणे वर्तमान में राज्य के स्वास्थ्य मंत्री हैं. राणे के बाहर निकलने के तुरंत बाद, कांग्रेस के दो और विधायक – सुभाष शिरोडकर (जिन्होंने शिरोडा सीट का प्रतिनिधित्व किया) और दयानंद सोपटे (मंदरेम) ने बीजेपी में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ दी. इन दोनों ने बाद में मई 2019 में हुए उपचुनाव में जीत हासिल की.
जुलाई 2019 में कांग्रेस को लगा सबसे बड़ा झटका
गोवा कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका जुलाई 2019 में लगा था, जब उसके 10 विधायकों के एक समूह ने तत्कालीन विपक्ष के नेता चंद्रकांत कावलेकर के नेतृत्व में पार्टी छोड़ दी थी. कावलेकर वर्तमान में प्रमोद सावंत के नेतृत्व वाली राज्य सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यरत हैं. वर्तमान में, कांग्रेस के राज्य में केवल तीन विधायक बचे हैं- विपक्ष के नेता दिगंबर कामत, एलेक्सो रेजिनाल्डो (कर्टोरिम विधानसभा सीट से) और प्रताप सिंह राणे (पोरीम सीट से).
नाइक पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया
रवि नाइक के इस्तीफे पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडानकर ने कहा कि पार्टी ने बहुत पहले ही उनसे ‘नाता’ तोड़ लिया था और आगामी राज्य चुनाव के लिए उन्हें पार्टी का प्रत्याशी बनाने पर विचार भी नहीं किया गया था. गोवा में पोंडा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले नाइक ने विधानसभा अध्यक्ष राजेश पाटनेकर (Rajesh Patnekar) को अपना इस्तीफा सौंपा. इस मौके पर उनके साथ उनके दो बेटे भी थे, जो पिछले साल सत्तारूढ़ बीजेपी में शामिल हुए थे. रवि नाइक के बीजेपी में शामिल होने की उम्मीद है.
इस तरह गोवा विधानसभा में कांग्रेस की स्थिति लगातार कमजोर होती गई और समय के साथ उसके विधायक भी पार्टी का साथ छोड़ते गए हैं. लेकिन, पार्टी के मुश्किल भरे दिन पूरे नहीं हुए हैं. गोवा में अब कांग्रेस के सामने सिर्फ बीजेपी की चुनौती नहीं है, बल्कि टीएमसी और आम आदमी पार्टी भी उसे चैलेंज कर रही हैं.
कहा जा सकता है कि बीजेपी के बाद गोवा में कांग्रेस के लिए मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही है. सियासी तौर पर पार्टी को अब तीन मोर्चे पर मुकाबला करना होगा… लेकिन उससे पहले कांग्रेस को अपना घर मजबूत करना होगा और पार्टी नेताओं को एक छाते तले एकजुट रखना ही, सबसे बड़ी चुनौती है. वरना ईंटों के खिसकने से पूरी इमारत ही भरभराकर गिर जाती है.
साभार-न्यूज 18