बदरीनाथ के कपाट खुलने पर पूर्व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि जब बदरीनाथ गर्भगृह में घृत कंबल हटाया गया तो, उस पर लगाया गया घी का लेप सूखा नहीं था। इससे देश में खुशहाली आने के संकेत हैं। गत वर्ष भी घी सूखा नहीं था। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यदि बदरीनाथ के माथे की तरफ कंबल से घी सूख जाता है तो हिमालय क्षेत्र में सूखे की स्थिति पैदा होती है, और निचले हिस्से में घी सूखे तो देश में विपत्ति आती है।
इस परंपरा में विश्वास किया जाता है, जो लोगों के मन में आशा और शुभकामनाओं की भावना को उत्तेजित करती है। इस घृत कंबल को देश के प्रथम गांव माणा की महिलाओं के द्वारा तैयार किया जाता है। बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने के दिन घी के लेप लगे कंबल को बदरीनाथ के ओढ़ा जाता है और कपाट खुलने के दिन इस कंबल को तीर्थयात्रियों में प्रसाद के रुप में वितरित किया जाता है।
बता दें कि टिहरी राजा की कुंडली के आधार पर ही बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि घोषित होती है। बदरीनाथ धाम में ताला खोलने का काम राजगुरु करते हैं। धाम के कपाट खुलने के बाद देश के प्रथम गांव माणा की महिलाओं ने मांगलिक गीतों के साथ ही बदरीनाथ के गीतों की प्रस्तुतियां दी।