महामारी के दौर से उबरते देश के आर्थिक मोर्चे पर मजबूत करना भी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के लिए भी बड़ी चुनौती है. इस दौरान बड़े उद्योगपतियों के अलावा छोटे कारोबारियों और मध्यम वर्ग ने भी बड़ा नुकसान उठाया है.
इस समस्या से निजात पाने के लिए ग्रोथ बढ़ाने, रोजगार के मौके तैयार करने, आय में इजाफा, निवेश को प्रोत्साहित करने जैसे कई बड़े कदम उठाने की जरूरत है. ऐसे में इस बजट से आम आदमी और मध्यमवर्गीय भी बड़ी उम्मीद लगाए बैठा है. आइए जानते हैं कि आम बजट 2021 से एक मध्यमवर्गीय परिवार क्या चाहता है. इस बजट में सरकार वर्क फ्रॉम होम कर रहे वेतनभोगी कर्मचारियों के उठाए जा रहे खर्चों में छूट देने पर विचार कर सकती है.
वैश्विक महामारी के बीच वेतनभोगी मध्यमवर्गीय करदाताओं को राहत देने के लिए केंद्र सरकार को स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए. स्टैंडर्ड डिडक्शन एक तय छूट होती है, जो निश्चित आय वाले करदाताओं को मिलती है. 2018-19 के बजट में स्टैंडर्ड डिडक्शन ने मेडिकल और ट्रांसपोर्ट अलाउएंस की जगह ली थी. उस समय एक वेतनभोगी व्यक्ति या पेंशन पाने वाला अपनी आय से 40 हजार रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन का दावा कर सकता था. अगले बजट में इसे बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दिया गया था.
होम लोन की मूल राशी चुकाए जाने पर मिलने वाले 1.50 लाख रुपए के डिडक्शन को अलग सेक्शन में दिया जाना चाहिए. इसे 80C के साथ नहीं मिलाया जाना चाहिए. क्योंकि कई मामलों में यह आंकड़ा दूसरी चीजों की वजह से पहले ही पार हो जाता है. इसके अलावा डिडक्शन पजेशन के बजाए उसी साल मिलना चाहिए, जब लोन लिया गया है.
80C के तहत एक व्यक्ति को LIP, होम लोन की मूल राशी चुकाने, एफडी, पीएफ जैसे कई पेमेंट्स मिलने के बाद 1.5 लाख रुपए की छूट मिलती है. बीते कुछ समय की महंगाई पर विचार करते हुए सरकार इसकी अपर लिमिट बढ़ाकर 2.5-3 लाख रुपए कर सकती है.
वैश्विक महामारी ने हमें बताया है कि हेल्थ इंश्योरेंस अब केवल एक विकल्प नहीं है, हमें इसकी जरूरत है. जिंदगी बचाने की जद्दोजहद में इंश्योरेंस की जरूरत काफी हद तक बढ़ गई है. कई हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस कवर जरूरी कर दिया है. इन हालात को देखते हुए सरकार 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर अपर लिमिट बढ़ा सकती है.
साभार-न्यूज़ 18