फिर से लॉकडाउन की आशंका, आम आदमी को सता रहे हैं ये 5 अहम डर

देश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर ने आतंक मचा रखा है. दिन पर दिन कोविड के मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है. सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र में सामने आ रहे हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, देश में एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के सबसे अधिक 1,03,558 मामले सामने आए हैं. अब देश में संक्रमित लोगों का आंकड़ा 1,25,89,067 पर पहुंच गया है.

कोविड-19 की वजह से प्रतिबंध बढ़ाए जा रहे हैं. यह भी डर पैदा हो रहा है कि जिन राज्यों में मामले बेहद ज्यादा हैं, वहां फिर से लॉकडाउन न लग जाए. हालांकि अभी तक यह सिर्फ एक आशंका है. इस आशंका के बीच आम आदमी को फिर से कुछ डर सताने लगे हैं.

जहां-तहां फंसने का डर
सबसे बड़ा डर तो इस बात का है कि अगर फिर से लॉकडाउन लगा और आवागमन बंद हुआ तो एक बार फिर लोग जहां तहां फंस जाएंगे. जो लोग रोजी रोटी की तलाश में दूसरे शहरों में जाकर गुजर बसर करते हैं और उनका कोई स्थायी निवास नहीं है, उनके लिए सबसे ज्यादा मुश्किल होती है. जैसे कि प्रवासी श्रमिक. पिछली बार लॉकडाउन में दूसरे शहरों में फंसे प्रवासी श्रमिक खाने-पीने और रहने का संकट खड़ा होने के बाद पैदल ही घर की ओर रवाना हो गए थे. उनमें से कइयों की बीच में ही जान भी चली गई थी.

​छोटे उद्योग धंधों के बंद होने का डर

लॉकडाउन के दौरान उद्योग धंधों को काफी नुकसान झेलना पड़ा था. छोटे उद्योग धंधे तो चौपट ही हो गए. रेहड़ी-पटरी लगाने वालों, चाय की दुकान या दूसरी तरह की छोटी मोटी दुकान वालों के सामने जो रोजी रोटी का संकट खड़ा हुआ था, उससे हम सभी वाकिफ हैं. 24 मार्च 2020 को लॉकडाउन लागू हुआ था. एक साल के अंदर दिल्ली एनसीआर के करीब 10 फीसदी छोटे-छोटे उद्योग बंद हो गए हैं. जो धंधे बचे रहे, उन्हें फिर से स्थापित होने में ही वक्त लग गया.

नौकरी जाने का डर
लॉकडाउन के दौरान संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों में लोगों की नौकरियां गईं. कॉस्ट कटिंग, बिजनेस बंद होने के चलते बड़ै पैमाने पर छंटनियों का दौर चला. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इकनॉमी यानी सीएमआईई (CMIE) के मुताबिक, भारत में करीब 21 फीसदी लोग नौकरीपेशा हैं, जिन पर कोरोना की मार सबसे अधिक पड़ी. जुलाई 2020 के महीने में करीब 50 लाख लोगों की नौकरी गई.

जिसके चलते कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन की वजह से नौकरी गंवाने वालों की संख्या 1.89 करोड़ तक पहुंच गई है. 1.77 करोड़ लोगों ने अप्रैल 2020 में नौकरी गंवाई थी और मई में करीब 1 लाख लोगों की नौकरी गई. इसके बाद जून में करीब 39 लाख लोगों को नौकरी वापस मिल गई थी.

​वेतन वृद्धि, बोनस रुकने का डर

नौकरीपेशा लोगों में से ज्यादातर ऐसे रहे, जिनका पिछले साल इंक्रीमेंट नहीं हुआ. उल्टा कई कंपनियों ने सैलरी कट की. इस साल इंक्रीमेंट लगने की उम्मीद जागी थी लेकिन अब कोविड के बढ़ते मामलों और बढ़ रहे प्रतिबंधों से एक बार फिर इंक्रीमेंट टलने की आशंका पैदा होने लगी है.

अगर एक बार फिर लॉकडाउन हो गया तो कंपनियों को फिर से नुकसान झेलना पड़ेगा और अधिकतर कंपनियां इसे कर्मचारियों की वेतन वृद्धि रोककर या सैलरी में कटौती कर कम करने की कोशिश करेंगी.

शादियों के लिए बुकिंग में पैसे डूबने का डर

शादियों का सीजन शुरू होने वाला है. शादियों के लिए लोग पहले से बुकिंग करा लेते हैं- जैसे बैंकेट हॉल या गेस्ट हाउस की बुकिंग, बैंड की बुकिंग, केटरर्स, डेकोरेटर्स की बुकिंग आदि. अब ऐसे में अगर लॉकडाउन हुआ तो ये बुकिंग बेकार हो जाएंगी. इस बुकिंग पर आगे काम हो, न हो, कहा नहीं जा सकता. ऐसे में आम आदमी को अपनी पूंजी गंवानी पड़ सकती है.

साभार-नवभारत









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