जहां भारतीय जनता पार्टी बंगाल में सत्ता पर काबिज होने के लिए सभी तरह से सियासी दांव आजमा रही है वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेताओं में अभी तक एक राय नहीं बन पा रही है. पांच राज्यों में चुनाव को लेकर राजनीति गरम है. वहीं कांग्रेस में मतभेद खुलकर सामने आने लगा है.
बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी में एक बार फिर विवाद की शुरुआत हो गई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने बंगाल में पार्टी द्वारा इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ गठबंधन किए जाने पर सवाल खड़ा किया है, उन्होंने कहा है कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस पार्टी चयनात्मक नहीं हो सकती है.
साथ ही उन्होंने कहा कि आईएसएफ जैसे दलों के साथ गठबंधन कांग्रेस पार्टी की मूल विचारधारा के खिलाफ है. आनंद शर्मा के सवाल उठाए जाने पर बंगाल कांग्रेस प्रभारी अधीर रंजन चौधरी ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्होंने दिल्ली में पार्टी लीडरशिप के हस्ताक्षर के बिना कोई भी फैसला व्यक्तिगत रूप से नहीं लिया .
अधीर रंजन ने कहा कि हम एक राज्य के प्रभारी हैं और व्यक्तिगत रूप से कोई फैसला नहीं लेते हैं . उन्होंने कहा कि बंगाल में कांग्रेस की लड़ाई ममता बनर्जी और बीजेपी के खिलाफ है, यहां कांग्रेस को लेफ्ट का साथ मिला है,
जबकि ममता बनर्जी को कांग्रेस-वाम गठबंधन के साथ बीजेपी और अन्य पार्टियों से भी मुकाबला करना है. बता दें कि आनंद शर्मा वहीं है जो गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और मनीष तिवारी आदि के साथ असंतुष्ट नेताओं मैं शामिल हैं.