उत्तरकाशी| शनिवार को विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट विधि विधान और पूजा अर्चना के साथ खोल दिए गए. मां गंगा की डोली आज सुबह भैरव घाटी से गंगोत्री के लिए रवाना हुई. ठीक सुबह 7:30 पर विशेष मंत्र उच्चारणों के साथ गंगोत्री के पंडा पुरोहितों ने सीमित संख्या में पहुंच कर गंगोत्री मंदिर के कपाट खोल दिए.
गंगोत्री धाम के कपाट खुलते ही मां गंगा का परिसर जयकारों से गूंज उठा. खास बात यह रही कि गंगोत्री के पंडा पुरोहितों ने पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के नाम से की और भेंट भी चढ़ाई. पुरोहितों ने देश और दुनिया को कोरोना महामारी से निजात दिलाने के लिए विशेष पाठ का आयोजन किया.
इससे पहले मां गंगा की डोली अपने शीतकालीन प्रवास स्थल मुखबा गांव से गंगोत्री के लिए रवाना हुई. कोरोना संक्रमण की वजह से इस साल भी मुखबा गांव के लोग दूर से ही मां गंगा की डोली का दर्शन कर पाए. हर्षिल, धराली समेत अन्य स्थानों के लोगों ने भी दूर से ही मां गंगा के दर्शन किए. भैरव घाटी में रात्रि विश्राम के बाद आज सुबह 7:30 बजे मां गंगा के उद्गम स्थल के रूप में मशहूर गंगोत्री धाम के कपाट विधि विधान के साथ खोल दिए गए. इस साल आर्मी के बैंड की धुन भी गंगोत्री धाम में नहीं सुनाई दी. गंगोत्री मंदिर समिति के रविंद्र सेमवाल ने कहा कि कोरोना की वजह से सीमित संसाधनों के साथ गंगोत्री धाम में पूजा पाठ और मां गंगा की आरती का आयोजन हर दिन किया जाएगा. आम लोगों को न तो इस धाम की यात्रा और न ही मंदिर में दर्शन की अनुमति दी गई है.
गंगोत्री मंदिर समिति के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल ने कहा कि साल 2020 की तरह इस साल भी गंगोत्री धाम के कपाट बड़े सादगी से खोले गए. कोरोना गाइडलाइन के हिसाब से मंदिर परिसर में पुरोहित और प्रशासन के कुछ लोगों ने शिरकत की.
मंदिर के कपाट विधि विधान के साथ खोल तो दिए गए हैं, लेकिन हर साल की तरह गंगोत्री धाम में ना तो आर्मी के बैंड दिखे और ना भक्तों का उत्साह अब धाम के व्यापारियों और पंडा पुरोहितों को उम्मीद है कि जल्द ही कोरोना महामारी समाप्त होगी और धामों में फिर से चहल-पहल के साथ चार धाम यात्रा शुरू हो पाएगी.