संसद से पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच जारी सियासी घमासान का असर सड़कों पर भी दिखाई पड़ रहा है. चार दिनों से राजधानी दिल्ली में जैसे हल्ला बोल शुरू हो गया है.
कुछ दिनों पहले तक केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच ट्विटर पर जंग छिड़ी हुई थी. लेकिन अब ट्विटर के साथ आमने-सामने का भी टकराव शुरू हो गया है. सोमवार, 19 जुलाई से शुरू हुए मानसून सत्र ने विपक्ष की ‘तकदीर’ बदल दी है.
संसद के सत्र को लेकर आज 4 दिन हो गए हैं लेकिन हर रोज कोई न कोई नया और बड़ा मुद्दा विरोधियों के हाथ लग जा रहा है. मानसून सत्र के पहले दिन ही फोन टैपिंग जासूसी को लेकर कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों की केंद्र सरकार को घेरने के लिए शानदार शुरुआत हुई.
उसके बाद दूसरे दिन मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया का बयान ‘देश में ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत नहीं हुई’ के बाद विपक्षी नेताओं को मोदी सरकार के खिलाफ आवाज उठाने के लिए और मजबूत कर गया.
स्वास्थ्य मंत्री के इस बयान के बाद विपक्षी पार्टियों को सोशल मीडिया पर भी खूब समर्थन मिला. इसी को लेकर संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में विपक्षी नेता जमकर हंगामा करते हुए जांच की मांग करने में लगे हुए हैं, जिसकी वजह से हर रोज संसद की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ रही है.
उसके बाद एक और मुद्दे पर सरकार गुरुवार को घिर गई. दैनिक भास्कर मीडिया समूह में हुई आयकर विभाग की छापेमारी के बाद विपक्षी पार्टियां केंद्र के खिलाफ पूरी तरह से मैदान में उतर आईं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पत्रकारों और मीडिया हाउस पर हमले को लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश करार दिया है.
वहीं मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने भी इसकी निंदा की. ऐसे ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी इसे दमनकारी नीति बताया.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और समाजवादी पार्टी ने भी आयकर विभाग की दैनिक भास्कर समूह में छापेमारी को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा. आज भी संसद सत्र के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं में छीना-झपटी भी हुई.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार