मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने हिमालय दिवस के अवसर पर जारी अपने संदेश में कहा कि हिमालय न केवल भारत बल्कि विश्व की बहुत बड़ी आबादी को प्रभावित करता है. यह हमारा भविष्य एवं विरासत दोनों है, हिमालय के सुरक्षित रहने पर ही इससे निकलने वाली सदानीरा नदियां भी सुरक्षित रह पायेंगी, हिमालय की इन पावन नदियों का जल एवं जलवायु पूरे देश को एक सूत्र में पिरोता है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय हमारे जीवन के सरोकारों से गहनता से जुड़ा हुआ है, अतः हिमालय के संरक्षण की पहली जिम्मेदारी भी हमारी है. हिमालय के संरक्षण के लिए इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, नदियों एवं वनों का भी संरक्षण आवश्यक है, इसीलिए जल संरक्षण, संवर्धन तथा व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण राज्य सरकार की प्राथमिकता है. यही नहीं हिमालय संरक्षण के लिए हमने राष्ट्रीय स्तर पर मुहिम भी चलाई, विगत में मसूरी में आयोजित हिमालय कॉन्क्लेव इसका प्रमाण है, इसमें लगभग सभी हिमालयी राज्यों द्वारा हिमालय के पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्धन के प्रति मसूरी संकल्प पारित कर हिमालय को बचाने का संकल्प भी लिया गया.
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमालय कि समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने, प्रकृति प्रदत्त जैव विविधता, ग्लेशियर, नदियों, झीलों के संरक्षण की दिशा में प्रभावी पहल की आवश्यकता है. हमें हिमालय को उसके व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखना होगा, राज्य सरकार द्वारा अपने स्तर पर इस दिशा में विभिन्न कार्य योजनाओं के माध्यम से कई स्तरों पर विचार गोष्ठियों एवं जन जागरूकता जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है. फिर भी इस व्यापकता वाले विषय पर सभी बुद्धिजीवियों, विषय विशेषज्ञों, प्रकृति प्रेमियों, हिमालय पर उसकी समग्रता का अध्ययन करने वाले अध्येताओं को एक मंच पर आकर संजीदगी के साथ इस दिशा में आगे आना होगा, इसके लिए राज्य सरकार हर संभव सहयोग के लिए तत्पर है.
उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण हमारे स्वभाव में है, हरेला जैसे पर्व प्रकृति से जुड़ने की हमारे पूर्वजों की दूरगामी सोच को दर्शाती है. वनों को बचाने के लिए चिपको आंदोलन भी प्रकृति की प्रेरणा से संचालित हुआ है. पर्यावरण में हो रहे बदलावों, ग्लोबल वार्मिंग के साथ ही जल जंगल जमीन से जुड़े विषयों पर समेकित चिंतन की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, सामाजिक चेतना तथा समेकित सामूहिक प्रयासों से ही हम इस समस्या के समाधान में सहयोगी बन सकते हैं. रिस्पना, कोसी जैसी नदियों के पुनर्जीवीकरण करने के लिए प्रयास किए जाने के साथ ही गंगा, यमुना व उनकी सहायक नदियों की स्वच्छता के लिए कारगर प्रयास किए जा रहे हैं. नदियों का स्वच्छ पर्यावरण भी हिमालय के पर्यावरण को बचाने में मददगार होगा.
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि राज्य सरकार हिमालय के पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए सदैव दृढ़ संकल्पित रही है, इस संबंध में समय-समय पर किए गये अध्ययनों आदि पर तत्परता से कार्य योजना के निर्माण के प्रति ध्यान दिया गया है. प्रतिवर्ष हिमालय दिवस का आयोजन किया जाना इस विषय पर गंभीरता के साथ चिंतन करने के प्रयासों को प्रकट करता है.