उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में प्रदेश के पहले बाल मित्र थाने का शुभारंभ किया है। राजधानी स्थित डालनवाला थाने में सीएम ने बाल मित्र थाने का उद्धघाटन किया है।
सीएम ने थाने के लिए एक करोड़ रुपये की धनराशि देने की भी घोषणा की है। बाल मित्र थाने में बाल आयोग के सदस्य वकील व बेहतर काउंसलर उपलब्ध होंगे जो बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें अपराधों से दूर रखने की कोशिश करेंगे। थानों में आने वाले बच्चाें को बहुत ही ज्यदा सौहार्द माहौल मिलेगा।
यहीं नहीं, बिना किसी भय के बच्चों की बहुत ही प्यार से काउंसलिंग भी की जाएगी। थाने के सफल प्रयास के बाद उत्तराखंड पुलिस प्रदेश के अन्य जिलों में भी बाल मित्र थाने को खोलने पर विचार कर रही है।
डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि बाल मित्र थाना एक बहुत अच्छा कदम है जबकि, एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इससे बच्चों में अपराध करने की प्रवृति पर रोक लगाना आसान होगा। उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग अध्यक्षा उषा नेगी ने कहा कि आयोग की ओर से विगत कई सालों से बाल मित्र थाने को खोलने की मांग उठाई जा रही थी।
बाल मित्र थाने बच्चों की काउंसलिंग बेहतर तरीके से की जाएगी। किसी भी अपराध में यदि बच्चों का नाम आता है तो वे पुलिस से भयभीत न होकर यहां आ सकेंगे। इसके साथ ही कुछ ऐसी महिलाएं भी आती हैं जिनके साथ बच्चे होते हैं तो वे भी यहां पर खेल सकेंगे। यही नहीं यदि कोई गायब बच्चा ढूंढने के बाद थाने लाया जाता है तो उसके लिए भी यहां अच्छा माहौल मिलेगा।
यदि किसी अपराध में कोई बच्चा पकड़ा जाता है तो उसे बाल थाने में रखा जाएगा। यह अवधि एक दिन से ज्यादा नहीं होगी। बाल थाने में घर जैसा माहौल देने का प्रयास किया जाएगा। थाने में खेलने, पढ़ने आदि की सुविधा मिलेगी। वहां पर एक बाल अधिकारी को भी तैनात किया जाएगा, जोकि बच्चों का ध्यान रखेगी।
इस व्यवस्था का मकसद बाल अपराधियों को सुधारना है। अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले और गुमशुदा नाबालिगों को विशेष काउंसलिंग कराई जाएगी। बच्चों को बेहतर माहौल देने के लिए थाने की दीवारों पर कार्टून और परिसर में खेल के सामान भी रखे गए हैं।