कोरोना महामारी ने जहां लाखों परिवारों की खुशियां छीन ली । वहीं दूसरी ओर कई टूटे और बिखरे परिवारों को फिर एक बार करीब ला दिया है। इस महामारी के बाद लोगों की परिवार के प्रति सोच में बदलाव आया है। परिवार की महत्ता कल भी थी और आज भी है और हमेशा रहेगी क्योंकि जो आनंद, सुरक्षा, अनुभव और भावात्मक लगाव परिवार में है, वह कहीं नहीं मिलेगा।
आज बात करेंगे संयुक्त परिवार की । 15 मई को एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाताा है, जिससे संसार भर के सभी लोग संबंध रखते हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस यानी (फैमिली डे) के बारे में। संयुक्त परिवार या एकीकरण परिवार समाज में एकता की सबसे पहली सीढ़ी मानी जाती रही है। परिवार के सदस्यों का घरों में एक साथ बैठना, भोजन करना, सामूहिक रूप से तीज, त्योहारों में शामिल होना आप सभी को याद होगा। समाज की परिकल्पना परिवार के बिना अधूरी है। ऐसे में परिवार ही हैं जो लोगों को एक दूसरे से जोड़े रखने में अहम भूमिका निभाते हैं।
परिवार हमारे रिश्तों को न सिर्फ मजबूती देता है, बल्कि हर गम और खुशी के मौके पर हमारे साथ खड़ा भी होता है, यही वजह है कि हमारे जीवन में परिवार का बहुत महत्व है। आज के इस आधुनिक जीवन में भी परिवार की अहमियत कम नहीं हुई है। यहां हम आपको बता दें कि विश्व परिवार दिवस हर साल एक खास ‘थीम’ के साथ मनाया जाता है। कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस 2021 की थीम ‘परिवार’ और ‘नई प्रौद्योगिकियां’ रखी गई है। पिछले साल सेे वैश्विक महामारी की वजह से परिवार का मूल्य विश्व को समझ आ रहा है कि भारतीय परंपरा का ढांचा और जीवन शैली और परिवार में रहना अमूल्य है।
इस कारण आज इस महामारी में कोरोना से भारत अन्य देशों की तुलना में मजबूत स्थिति है साथ ही विश्व में जो लोग परिवार में रह रहे हैं वो कोरोना से लड़ पा रहे बल्कि परिवार के साथ सुख और मस्ती करते हुए एक दूसरे के साथ आनंद से गुजार रहे हैं । इसके साथ कोविड में परिवार के साथ रहने से मर्ज से लड़ना व मरीज को हौसला देकर उसकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रहती है जिससे वह कोरोना को हारने में सफल रहता है ।
परिवार हमें सुरक्षित महसूस कराता है, यह हमें जीवन में किसी के होने का एहसास दिलाता है जिसके साथ आप अपनी समस्याओं को साझा कर सकते हैं। यह दिन एक दूसरे के प्रति सम्मान और जिम्मेदारी का भी एहसास दिलाता है।
स्वार्थी जीवन और एकाकी सोच की वजह से संयुक्त परिवार बिखरते चले गए—
पिछले कुछ वर्षों से समाज में जैसे भागमभाग और विघटन हुआ है जिससे संयुक्त परिवार के मायने बदल कर रख दिए हैं। आज गांव हो या छोटे शहर या बड़े शहरों में संयुक्त परिवार बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। बड़े परिवारों का टूटना, छोटे परिवारों में आकर सिमट जाना इसका सबसे बड़ा कारण मनुष्यों की स्वार्थी सोच रही है।
बदलते समय के साथ परिवार के मायने और मतलब भी बदलते जा रहे हैं। संयुक्त परिवार, मूल परिवार के रूप में छोटा हो जाता जा रहा है। हम स्वार्थी होने की बजाय दूसरे के बारे में सोचें यानी खुद से पहले परिवार के सदस्यों के बारे में सोचें। परिवार में पत्नी और मां हमेशा ऐसा करती हैं जब वह परिवार के दूसरे सदस्यों को पहले खाना खिलाती है और खुद आखिर में खाती है।
हमें भी उनसे सीखकर इस भावना को अपने व्यवहार में उतारना होगा । बुजुर्गों और बच्चों का सम्मान करना और उन्हें प्यार करना हमारे अच्छे शिष्टाचार को दिखाता है। इसके अलावा बड़ों से सम्मान के साथ बात करना, परिवार में किसी को जरूरत हो तो उनकी मदद करना ये सारी चीजें भी शिष्टाचार का ही हिस्सा हैं।
वैसे भी इंसान को पसंद या नापसंद करने की वजह उनका व्यवहार और शिष्टाचार ही होता है। परिवार न केवल एक स्वस्थ और अच्छी तरह से संतुलित परिवार के महत्व को बढ़ावा देता है, बल्कि आर्थिक और सामाजिक प्रक्रियाओं के ज्ञान को भी बढ़ाता है जो परिवारों को प्रभावित करते हैं।
मुसीबत के समय घर ही याद आता है और वही आपको शरण देता है। आज जब सब लोगों के सामने संकट आ खड़ा हुआ है तो परिवार न केवल याद आ रहा है, बल्कि परिवार ही शरण दे रहा है। जो लोग परिवार से जुड़े हैं या कहीं अपना परिवार देख पा रहे हैं, वे कहीं न कहीं दूसरों की बजाय बहुत सुकून में हैं।
अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाने की शुरुआत वर्ष 1993 में हुई थी—
साल 1993 में संयुक्त राष्ट्र जनरल असेंबली ने अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस की शुरुआत की थी और हर साल 15 मई के दिन इसे मनाने की घोषणा की गई थी। इस दिवस को दुनियाभर के समुदायों व लोगों को उनके परिवारों से जोड़ने, सामाजिक प्रक्रियाओं के बारे में जागरूक करने, परिवार से जुड़ी मुद्दों पर समाज में जागरूकता फैलाने, परिवार नियोजन की जानकारी देने को लेकर अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस को मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस को पहली बार साल 1996 में मनाया गया था। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है परिवार में विघटन न हो।
हम पुराने युगों की बात करें या धार्मिक मान्यताओं के आधार पर भी बात करें तो आज की ही तरह पहले भी परिवारों का विघटन हुआ करता था, लेकिन आधुनिक समाज में परिवार का विघटन आम बात हो चुकी है। ऐसे में परिवार न टूटे इस कारण अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। परिवार के बीच में रहने से आप तनावमुक्त व प्रसन्नचित्त रहते हैं। साथ ही आप अकेलेपन या डिप्रेशन के शिकार भी नहीं होते। यही नहीं परिवार के साथ रहने से आप कई सामाजिक बुराइयों से अछूते भी रहते हैं। अंतरराष्ट्रीय परिवार दिवस का मुख्य उद्देश्य युवाओं को परिवार के प्रति जागरूक करना है ताकि युवा अपने परिवार से दूर न हों। परिवार चाहे जैसा भी हो लेकिन हमेशा वह अपनों के हितों को ध्यान में जरूर रखता है। दुनिया फिलहाल जिस दौर से गुजर रही है ऐसे में परिवार की अहमियत और भी बढ़ जाती है। समाज की परिकल्पना परिवार के बगैर अधूरी है और परिवार बनाने के लिए लोगों का मिलजुल कर रहना व जुड़ना बहुत जरूरी है। आओ विश्व परिवार दिवस के मौके पर संकल्प लें कि हम संयुक्त परिवार की खुशियां एक बार फिर से लौटाएं।