चीन की तरफ से 29-30 अगस्त को पैंगोंग इलाके में दुस्साहस की गई थी. लेकिन इस दफा उनकी नापाक साजिश नाकाम हो गई. भारतीय सैनिकों ने न केवल चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया बल्कि पैंगोंग के दक्षिण किनारे स्थित स्ट्रैटिजिक हाइट को अपने कब्जे में ले लिया. चीन की जब यह चाल नाकाम हो गई तो चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने ट्वीट किया जिसे जानना और समझना जरूरी है.
ग्लोबल टाइम्स अपने ट्वीट में लिखता है कि दोनों देशों के बीत सीमाओं को रेखांकन नहीं हुआ है और विवाद के पीछे यह एक बड़ी वजह है. चीन अपनी संप्रुभता की दृढ़ता से सुरक्षा करेगा. इसके साथ ही वो भारत के साथ सभी मुद्दों को संवाद के जरिए सुलझाने के लिए तैयार है. अब सवाल यह है कि चीनी सरकार या फौज की मंशा पर किस हद तक विश्वास किया जा सकता है. क्या यह सिर्फ चाल है जिसके जरिए भारत को दुविधा में डालने की कोशिश की जा रही है या वास्तव में चीन को लगने लगा है कि अब टकराव के रास्ते से भारत के साथ आगे का रिश्ता निभाना आसान नहीं होगा.
जानकार कहते हैं कि अगर आप भारत और चीन की सीमा देखें तो निश्चित तौर दोनों देशों के दावे में मनोविज्ञान काम करता है. एक देश को लगता है कि उसका दावा ज्यादा सही है तो दूसरे को उसके ठीक उलट लगता है. लेकिन अगर मौजूदा तनाव की बात करें तो इसके लिए चीन जिम्मेदार है.
अगर अप्रैल से देखें उसमें भी 15-16 जून के बाद हालात में बदलाव आया है. चीन को यकीन नहीं था कि भारत की तरफ से इस हद तक जवाबी कार्रवाई होगी. अब चीन को लगने लगा है कि भारत किसी भी स्तर पर झुकने के लिए तैयार नहीं है तो वो अपने रुख में कभी नरमी कभी गरमी दिखा रहा है.