केंद्र की भाजपा सरकार को यह कृषि कानून देश में लागू करना महंगा सौदा साबित हुआ. पीएम मोदी समेत सभी भाजपा के रणनीतिकार दिल्ली में डेरा जमाए किसानों को मनाने की कोशिश करते रहे लेकिन अन्नदाताओं ने उनकी कोई भी बात मानने से इनकार कर दिया.
बता दें कि किसानों के आंदोलनों से केंद्र के साथ पीएम मोदी की भी देश-विदेशों में काफी किरकिरी हुई. कृषि कानून का विरोध जब से शुरू हुआ है, सरकार इस को दबाने में लगी रही. खुद पीएम ने कई मौकों पर सीधे किसानों को संबोधित किया और इन कानूनों को कृषि क्षेत्र का सबसे बड़ा सुधार बताया.
पीएम ने किसानों को विपक्ष की बातों में न आने को कहा. केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने किसानों को मनाने की कई कोशिशें की, लेकिन बात नहीं बनी. मंगलवार की सुनवाई में सुप्रीमकोर्ट ने भी माना कि सरकार इस मुद्दे को सुलझाने में विफल रही और मोदी सरकार अपने दम पर आंदोलन को समाप्त नहीं कर सकी.
अब पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही हाथ में ले लिया है. आखिरकार कानूनों पर रोक लग गई. दूसरी ओर भाजपा सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कुछ लाभ भी हुआ है. बता दें कि अभी कृषि कानून केंद्र को वापस नहीं लेना होगा, क्योंकि कमेटी अब लागू किए गए कानून पर विस्तार से मंथन करेगी.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार