हर समय टकराव. वही घिसे पिटे आरोप. दोनों ओर से चल रही जुबानी जंग का समापन कब होगा या यूं ही अभी कुछ दिन और चलता रहेगा.
चुनावी रैलियों में हर बार वही बातें सुन-सुन कर देशवासी भी अब पक गए हैं. आज चर्चा करेंगे बंगाल में विधान सभा चुनाव को लेकर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच मचे सियासी घमासान की. कहने को तो बंगाल के अलावा भी चार राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए हैं.
लेकिन ‘भाजपा और तृणमूल के नेताओं ने बंगाल को सियासत के बाजार में पूरी तरह से बदनाम कर के रख दिया है’. दो महीने से अधिक हो गए हैं लेकिन ऐसा कोई दिन नहीं गया जब दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच ‘भिड़ंत’ देखने को न मिली हो.
मौजूदा समय में कोरोना महामारी की वजह से देश ‘महासंकटों’ से गुजर रहा है, हर रोज संक्रमितों की संख्या तेजी के साथ बढ़ती जा रही है. लगभग डेढ़ लाख मरीज हर दिन बढ़ने लगे हैं.
‘लोगों के काम, धंधे और व्यापार एक बार फिर प्रभावित हो चले हैं, साथ ही नौकरियों पर भी संकट गहरा रहा है. कई राज्यों में लॉकडाउन और नाइट कर्फ्यू के साथ पाबंदियों की वजह से बाजार पूरी तरह सहमा हुआ है’.
आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा और पंजाब में कोरोना वैक्सीन का स्टॉक भी खत्म होने से लोगों में ‘दोहरी बेचैनी’ छाई हुई है. लेकिन बंगाल की सियासत बढ़ती जा रही है.
‘यह देश के लिए दुखद ही कहा जाएगा कि ऐसे संकट काल में भी केंद्र सरकार को बंगाल की सिर्फ ‘सत्ता’ ही दिखाई पड़ रही है. ऐसा भी नहीं है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता भाजपा पर हमला करने से पीछे हट रहे हो. दोनों राजनीतिक दलों ने बंगाल पर काबिज होने के लिए ‘नैतिकता’ को किनारे कर दिया है.
जबकि भाजपा ने बंगाल चुनाव की जब शुरुआत हो रही थी तब बुलंद आवाज में नारा दिया था कि, इस राज्य को हम ‘आमार सोनार बांग्ला’ बनाएंगे ? इसका अर्थ होता है (मेरा सोने का बंगाल या मेरा सोने जैसा बंगाल) बता दें कि बांग्लादेश का यह राष्ट्रगान है, जिसे गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने लिखा था.
यह बांग्ला भाषा में है. गुरुदेव ने इसे बंग भंग के समय साल 1906 में लिखा था, जब मजहब के आधार पर अंग्रेजों ने बंगाल को दो भागों में बांट दिया था.
यह गीत बंगाल के एकीकरण का माहौल बनाने के लिए लिखा गया था. भाजपा के आमार सोनार बांग्ला के जवाब में दीदी ने भी कहा था तृणमूल कांग्रेस इस राज्य को खुशहाली देगी. लेकिन दोनों ही राजनीतिक पार्टियां अपने इस एजेंडे पर अमल करती हुईं दिखाई नहीं दे रही हैं.
राजधानी दिल्ली से बंगाल जाकर पीएम मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा चुनावी रैलियों में ममता बनर्जी को दहाड़ रहे हैं. भाजपा के हमले के बाद ममता बनर्जी समेत टीएमसी के नेता भी प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को करारा जवाब दे रहे हैं.
‘ममता और मोदी अमित शाह की लड़ाई से अब देशवासी भी ऊब चुके हैं’. लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि आखिरकार इन दोनों राजनीतिक दलों में इतना टकराव क्यों है ? आज एक बार फिर पीएम मोदी ने बंगाल जाकर ममता बनर्जी को चुनौती दी.
बात को आगे बढ़ाने से पहले बता दें कि पीएम मोदी आज तृणमूल कांग्रेस और ममता बनर्जी पर कुछ ज्यादा ही गुस्से में नजर आए, इसका कारण पिछले दिनों दीदी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा था कि मैं हर किसी से एकजुट होकर मतदान करने के लिए कह रही हूं, न कि किसी को बांटने की कोशिश कर रही हूं. अब तक नरेंद्र मोदी के खिलाफ कितनी शिकायत दर्ज हुईं? वह तो रोजाना हिंदू-मुस्लिम करते रहते हैं.
ममता ने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा था. दीदी के इन आरोपों को भाजपा जवाब देने के लिए छटपटा रही थी. सबसे बड़ी बात यह है कि इन चुनावों के दौरान भाजपा और टीएमसी के नेता आरोप-प्रत्यारोप को लेकर कोई मौका छोड़ना नहीं चाहते हैं.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार