उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री भारतीय जनता पार्टी के नित्यानंद स्वामी बने थे. लेकिन एक साल भी वो कुर्सी पर नहीं रह सके. नित्यानंद के खिलाफ बीजेपी नेताओं ने मोर्चा खोल दिया था. जिसके बाद सीएम नित्यानंद को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. नित्यानंद के इस्तीफा देने के बाद बीजेपी ने अपने नेता भगत सिंह कोश्यारी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया. कोश्यारी सीएम की कुर्सी पर एक मार्च 2002 तक ही रह सके.
क्योंकि उत्तराखंड में साल 2002 में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें भारतीय जनता पार्टी कोश्यारी के अगुवाई में चुनाव लड़ी थी। यह चुनाव बीजेपी के लिए महंगा पड़ा और पार्टी राज्य की सत्ता में वापसी नहीं कर सकी और कांग्रेस के हाथ सत्ता की कमान लगी. इस तरह से भगत सिंह कोश्यारी महज 4 महीने ही मुख्यमंत्री के पद पर रह सके थे.
वर्ष 2007 में फिर विधानसभा चुनाव हुए जिसमें भारतीय जनता पार्टी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में लौटी. लेकिन 2007 से 12 तक भाजपा में तीन मुख्यमंत्री भी बदलें. पहले भुवन चन्द्र खंडूरी को मुख्यमंत्री बनाया गया. खंडूरी मुख्यमंत्री के पद पर लगभग पौने दो साल ही रह सके. इसके बाद भाजपा आलाकमान ने खंडूरी की जगह रमेश पोखरियाल निशंक को सत्ता की कमान सौंप दी. लगभग सवा दो साल बाद ही विरोध के चलते निशंक को भी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
साल 2011 में एक बार फिर भुवन चन्द्र खंडूूूरी को दोबारा मुख्यमंत्री बनाया गया. अगले वर्ष 2012 में एक बार फिर राज्य में विधानसभा चुनाव हुए और कांग्रेस की सत्ता आई. इस तरह कांग्रेस के हाथों बीजेपी को मिली हार के बाद खंडूरी को 13 मार्च 2012 को कुर्सी छोड़नी पड़ गई.
साल 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला तो सत्ता की कमान त्रिवेंद्र सिंह रावत को मिली. त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 18 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली, जिसके बाद से वह अपनी कुर्सी पर बने हुए हैं.
त्रिवेंद्र भाजपा में सबसे लंबे समय तक सीएम की कुर्सी पर रहने वाले नेताओं में शामिल हैं, लेकिन चार साल के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ पार्टी और विधान मंडल दल में बगावत से संकट गहरा गया है. मंगलवार को शाम मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मुलाकात कर इस्तीफा सौंप दिया है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार