थोक मूल्य आधारित महंगाई सूचकांक (WPI) पिछले एक साल से दहाई अंकों में ही बनी हुई है. मार्च में यह बढ़कर 14.55 फीसदी पर पहुंच गई, जो चार महीने का शीर्ष स्तर है.
वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार (18 अप्रैल) को थोक मूल्य आधारित महंगाई दर के आंकड़े जारी किए. मंत्रालय ने बताया कि मार्च में WPI करीब 1.5 फीसदी बढ़ी है. फरवरी में इसकी दर 13.11 फीसदी थी. पिछले 12 महीनों से थोक महंगाई की दर दहाई अंकों में ही बनी हुई है. मार्च, 2021 में थोक महंगाई 7.89 फीसदी थी और इसके बाद से यह दर कभी भी 10 फीसदी से नीचे नहीं आई है.
थोक महंगाई दर ज्यादा होने का मतलब है कि जब उत्पादों की थोक कीमतों में ही राहत नहीं तो उपभोक्ताओं तक पहुंचने वाली खुदरा कीमत नीचे कैसे आएगी. 12 अप्रैल को जारी आंकड़ों के अनुसार, मार्च में खुदरा महंगाई दर 6.95 फीसदी पहुंच गई जो 17 महीने का सबसे उच्चतम स्तर है. उपभोक्ता उत्पादों की विनिर्माण लागत लगातार बढ़ रही है, जिसका बोझ आखिर में उपभोक्ताओं पर ही डाला जा रहा और थोक के साथ खुदरा महंगाई दर भी ऊपर जा रही है.
थोक महंगाई के आसमान छूने के पीछे सबसे बड़ा कारण खाने-पीने की वस्तुओं के दाम बढ़ना है. विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर फरवरी में 8.47 फीसदी थी, जो मार्च में बढ़कर 8.71 फीसदी हो गई है. इसके अलावा पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से भी महंगाई भड़की है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से धातुओं और कच्चे तेल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है.
थोक महंगाई में 13.15 फीसदी भागीदारी वाले तेल और बिजली की महंगाई दर में भी तेज इजाफा हुआ है. मंत्रालय ने कहा कि फरवरी में ईंधन की महंगाई दर 5.68 फीसदी थी, जो मार्च में ही बढ़कर 9.19 फीसदी पहुंच गई है. इसमें सबसे बड़ी भूमिका पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ना और सीएनजी-पीएनजी महंगी होने की है.
सब्जियों की कीमतों में सबसे ज्यादा असर दिख रहा है. मार्च में सब्जियों की औसत कीमत 19.88 फीसदी बढ़ी है. आलू की कीमतों में 24.62 फीसदी का इजाफा हुआ, जबकि प्याज 9.33 फीसदी सस्ता हो गया है. फलों की थोक महंगाई दर 10.62 फीसदी रही जबकि गेहूं की महंगाई दर 14.04 फीसदी पहुंच गई. अंडा, मांस और मछली की महंगाई दर 9.42 फीसदी पहुंच गई, जो एक महीने पहले 8.14 फीसदी थी.