बिहार विधानसभा 2020 कई मायनों में खास रहा. कुछ नतीजे ऐसे आए जो चौंकाने वाले थे. मसलन बीजेपी बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी तो 15 साल तक सुशासन का दावा करने वाली जेडीयू तीसरे नंबर की पार्टी बन गई. इसके साथ ही कड़ी मेहनत का नतीजा तेजस्वी यादव की अगुवाई वाले महागठबंधन के पक्ष में नहीं आया.
जादुई आंकड़ों को तेजस्वी यादव हासिल ना कर सके और सीएम की कुर्सी उनसे दूर हो गई. बिहार के चुनावी नतीजों पर वो हमेशा से सवाल उठाते रहे हैं और एक बार फिर उन्होंने 40 सीट का जिक्र कर नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधा.
बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता और राजद नेता तेजस्वी यादव ने मंगलवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के “बिहार के एबीसी” टिप्पणी पर अपना हमला तेज कर दिया और पिछले साल के बिहार विधानसभा चुनावों में अपनी पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन पर कड़ी नज़र रखी.
राज्य विधानमंडल के संयुक्त बैठक में राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान एक बहस में भाग लेते हुए, राजद नेता ने कहा, “बिहार के ए, बी, सी को जाने बिना, हमने आपकी रैली को 40 सीटों तक कम कर दिया. अगर हमें एक्स, वाई, जेड पता होता, तो आप विधानसभा में अपना खाता नहीं खोल सकते थे. ”
जेडी (यू) जिसने 243 सदस्यीय राज्य विधानसभा में 115 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उसने नवंबर 2020 के राज्य चुनाव में केवल 43 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि 2015 के विधानसभा चुनावों में उसे 71 में जीत मिली थी.
राजद ने पिछले विधानसभा चुनावों में शानदार प्रदर्शन किया और विधानसभा में 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी. अपने हमले को आगे बढ़ाते हुए, राजद नेता ने कहा कि कुमार भाजपा के हाथों की कठपुतली बन गए हैं, जिन्हें वह ‘बक्का झोटा पार्टी’ (झूठ की सबसे बड़ी पार्टी) कहते थे.
अपराध की बढ़ती घटनाओं को लेकर राज्य सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि लालू प्रसाद-राबड़ी देवी के नेतृत्व में राजद के 15 साल के शासनकाल में एनडीए के शासन में राज्य में दो गुना वृद्धि हुई है. उन्होंने दावा किया कि 2005 में राजद का शासन समाप्त होने पर संज्ञेय अपराध के मामलों की संख्या 97,850 थी, लेकिन एनडीए शासन के दौरान 2018 में यह संख्या बढ़कर 1,96,911 हो गई, जिसमें 101.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई.