उत्तराखंड में जब-तब मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं होती रहती हैं. प्रदेश के ना जाने कितने विधायक मंत्री पद पाने का अरमान संजोये बैठे हैं, लेकिन ये इंतजार खत्म ही नहीं हो रहा. पिछले कुछ वक्त से चर्चा थी कि पितृपक्ष के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है.
त्रिवेंद्र कैबिनेट में तीन नए चेहरों को जगह मिल सकती है, लेकिन अब हम जो खबर आपको बताने जा रहे हैं, उससे सत्तारूढ़ बीजेपी के विधायकों को मायूसी हाथ लग सकती है. इस वक्त जैसे संकेत मिल रहे हैं, उसे देख लगता है कि बिहार विधानसभा चुनाव तक मंत्रिमंडल विस्तार होने की कोई संभावना नहीं है.
बिहार चुनाव के बाद राज्य विधानसभा चुनाव के लिए सिर्फ सवा साल शेष रह जाएंगे. ऐसे में हो सकता है कि नए मंत्री बनाए ही ना जाएं. सीएम रावत जब भी दिल्ली दौरे पर जाते हैं, उत्तराखंड में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं होने लगती हैं.
इस बार भी यही हुआ. बुधवार को सीएम दिल्ली पहुंचे तो चर्चा होने लगी कि दिल्ली में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा होने वाली है, लेकिन सीएम ने रवाना होने से पहले ही साफ कर दिया कि उनके दिल्ली दौरे का मंत्रिमंडल विस्तार से कोई संबंध नहीं है.
सीएम का वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से मुलाकात का ही कार्यक्रम तय था. इस तरह उत्तराखंड में फिलहाल मंत्रिमंडल विस्तार की संभावनाएं दिख नहीं रही. त्रिवेंद्र कैबिनेट में 3 मंत्रियों के पद खाली चल रहे हैं. मार्च 2017 में सीएम त्रिवेंद्र समेत 10 सदस्यीय मंत्रिमंडल ने शपथ ली थी.
इस तरह दो मंत्री पद साल 2017 से ही खाली हैं. माना जा रहा था कि इन्हें जल्द भरा जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. पिछले साल जून में अहम मंत्रालय देख रहे मंत्री प्रकाश पंत का असामयिक निधन हो गया. इस तरह मंत्रिमंडल में खाली पदों की संख्या बढ़कर 3 हो गई.
पहले कहा जा रहा था कि मार्च में विधानसभा के बजट सत्र के बाद नए मंत्री बनाए जा सकते हैं, लेकिन कोरोना संकट के चलते ऐसा हो ना सका. फिर पितृपक्ष के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा होने लगी.
हाल में सीएम के दिल्ली दौरे को भी मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा था, लेकिन सीएम रावत ने फिलहाल ऐसी किसी भी संभावना से साफ इनकार किया है.