नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अपना फैसला सुनाने के लिए सीबीआई अदालत के लिए 30 सितंबर की नई समय सीमा तय की है. इससे जुड़े मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी , मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती पर आपराधिक आरोपों का आरोप है.
न्यायमूर्ति रोहिंटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली पीठ ने विशेष अयोध्या न्यायाधीश के अनुरोध पर पिछली समय सीमा को बढ़ा दिया. इन न्यायाधीश ने मामले की प्रगति रिपोर्ट सुप्रीमकोर्ट में दाखिल करने के साथ ही, मुकदमे को समाप्त करने के लिए कुछ और समय देने के लिए एक आवेदन पत्र भी दिया था.
पीठ ने 19 अगस्त को अपने आदेश में कहा, “विद्वान विशेष न्यायाधीश सुरेन्द्र कुमार यादव की रिपोर्ट को पढ़कर, और यह देखते हुए कि कार्यवाहियां अंत की ओर पहुंच रही हैं, हम एक महीने का समय देते हैं. जिसका मतलब है, 30 सितंबर, 2020 तक का समय कार्यवाही पूरी करके निर्णय देने के लिए दिया जाता है.” इस संबंध में आखिरी आदेश मई में आया था, जब पीठ ने सीबीआई अदालत को विशेष न्यायाधीश के एक ऐसे ही अनुरोध पर ध्यान देने के बाद 31 अगस्त, 2020 तक निर्णय देने का निर्देश दिया था
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता कल्याण सिंह को राजस्थान के राज्यपाल के उनके कार्यकाल के सितंबर, 2019 में खत्म होने के बाद इस मुकदमे में एक आरोपी बनाया गया था.
तीन अन्य हाई-प्रोफाइल अभियुक्तों- गिरिराज किशोर, विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल और विष्णु हरि डालमिया की मृत्यु मुकदमे की सुनवाई के दौरान हो गई है, इसलिए उनके खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई.
साभार-न्यूज़ 18