सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि कृषि कानून पर मोदी सरकार स्थित को संभाल नहीं पा रही है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि देश की स्थिति खराब हो रही है किसान आत्महत्या कर रहे हैं.
यही नहीं कड़कड़ाती ठंड में महिलाओं और बूढ़े लोगों के दिल्ली में जमा होने पर भी सरकार को फटकार लगाई. चीफ जस्टिस ने केंद्र सरकार से कहा कि आपने ऐसा कानून बनाया जिसका विरोध हो रहा है, लोग स्ट्राइक पर हैं.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अब सरकार और पक्षकारों से कुछ नाम देने को कहा है. ताकि कमेटी में उन्हें शामिल किया जा सके. अब इस मामले को कल फिर सुना जाएगा, कमेटी को लेकर भी कल ही निर्णय हो सकता है.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हमारे पास अब तक एक भी ऐसी अर्जी नहीं आई, जो कहती हो कि कृषि कानून अच्छे हैं. अगर ऐसा है तो किसान यूनियनों को कमेटी के सामने कहने दें कि कृषि कानून अच्छे हैं. सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि हमें ये बताइए कि आप कानूनों के अमल को रोकना चाहते हैं या नहीं, दिक्कत क्या है.
सुप्रीम कोर्ट की केंद्र सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणियों पर कांग्रेस ने प्रतिक्रिया दी. कांग्रेस ने ट्वीट करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणियों के बाद बिल वापसी और माफी मांगते हुए भाजपा सरकार का किसान विरोधी रवैया नरम पड़ना चाहिए और आज भाजपा सरकार को ये मानना चाहिए कि वो काले कानूनों के जरिए किसानों के विनाश की पटकथा लिख रही थी और किसानों का आंदोलन सही है.
अब कयास लगाए जा रहे हैं कि कृषि कानून पर विपक्षी नेताओं को सोनिया गांधी केंद्र सरकार के खिलाफ एक बार फिर एकजुट कर सकती हैं. बता दे कि इसी महीने के आखिरी में संसद का बजट सत्र भी शुरू हो रहा है.
शंभू नाथ गौतम, वरिष्ठ पत्रकार