रिपब्लिक टीवी के प्रमोटर और वरिष्ठ टीवी पत्रकार अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ का कहना है कि अर्नब गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 50,000 रुपए के बांड पर अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए.
इस आदेश के पालन तुरंत सुनिश्चित करने के लिए पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया गया है. सुसाइड केस में महाराष्ट्र सरकार की भूमिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की. शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर हम न्यायालय के रूप में कानून और स्वतंत्रता की रक्षा नहीं कर सकते हैं तो आखिर कौन करेगा.
अर्नब ने आत्महत्या के लिए उकसाने के केस में बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा जमानत ने देने के उसके फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी.
गोस्वामी के वकील हरीश साल्वे ने अपने मुवक्किल के पक्ष में कहा कि महाराष्ट्र सरकार की एजेंसी पर भरोसा नहीं है और इस मामले में सीबीआई जांच होनी चाहिए.
इस केस में महाराष्ट्र सरकार के पक्ष में उसके वकील ने जब दलील दी तो सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वीई चंद्रचूड़ ने तल्ख टिप्पणी की.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर हम अदालत के रूप में कानून और स्वतंत्रता की रक्षा नहीं कर सकते हैं तो आखिर कौन करेगा.
यदि कोई राज्य किसी शख्स के साथ गैरकानूनी ढंग से व्यवहार करेगी तो सख्त संदेश जाना ही चाहिए. हमारा लोकतंत्र इसी भावना के लिए जाना जाता है जिसमें हर किसी का भरोसा है.