मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने चंदा कोचर को बड़ा झटका दिया है. आज सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के बर्खास्तगी के आदेश में दखल देने से इंकार कर दिया है. बता दें पिछले साल चंदा कोचर ने अपने पद से टर्मिनेट किए जाने के बाद इसके खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसको कोर्ट की ओर से खारिज कर दिया है. सुप्रीमकोर्ट ने कहा, ‘हम हाईकोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने के लिए इच्छुक नहीं हैं. यह बैंक और नियोक्ता के बीच निजी अनुबंध के दायरे में आता है.’
बता दें इस साल मार्च में मुंबई उच्च न्यायालय ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंदा कोचर की उनके पद से हटाने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद चंद कोचर ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. अब SC की ओर से भी इसको खारिज किया गया है.
अपने नौकरी से निकाले जाने के निर्णय को चुनौती देते हुए कोचर ने 30 नवंबर 2019 को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. कोचर के वकील विक्रम नानकनी ने दलील दी कि बैंक ने कोचर के इस्तीफे को पांच अक्टूबर 2018 को स्वीकार कर लिया था.
आपको बता दें पिछले साल जनवरी महीने में ICICI Bank के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने यह फैसला लिया कि चंदा कोचर के बैंक से अलग होने को ‘Termination for Cause’ माना जाएगा.
यानी कि उनको किसी वजह से नौकरी से निकाला गया है. इसके अलावा उनको मिलने वाले सभी फायदे भी बंद कर दिए जाएंगे चाहे वह बोनस हो, इंक्रीमेंट हो या फिर मेडिकल बेनिफिट्स उनको किसी भी तरह का कोई फायदा नहीं दिया जाएगा.
इसके अलावा अप्रैल 2009 से मार्च 2018 तक जो भी बोनस उन्हें दिए गए उन्हें वापस वसूला जाएगा. चंदा कोचर के मामले से जुड़ी जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने बैंक को दिए गए सालाना घोषणाएं को बताने में ईमानदारी नहीं बरती. जो कि बैंक की अंदरूनी पॉलिसी, कोड ऑफ़ कंडक्ट और भारत के क़ानून के तहत ज़रूरी है.
चंदा कोचर पर मार्च 2018 में अपने पति को आर्थिक फ़ायदा पहुंचाने के लिए अपने पद के दुरुपयोग का आरोप लगा था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकोन समूह को 3,250 करोड़ रुपये का लोन दिया था.
वीडियोकॉन ग्रुप ने इस लोन में से 86 फीसदी (करीब 2810 करोड़ रुपये) नहीं चुकाए. 2017 में इस लोन को एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) में डाल दिया गया.