गुरुवार को पंजाब की जेल में बंद बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी को उत्तर प्रदेश की जेल में शिफ्ट किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान पंजाब सरकार के वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि मुख्तार अंसारी को लेकर जो बातें पंजाब सरकार को लेकर यूपी सरकार ने कही हैं वो निराधार हैं. दुष्यंत ने कहा कि मुख्तार अंसारी पंजाब सरकार के लिए भी अपराधी है लेकिन यूपी सरकार इस मामले में पंजाब सरकार को कठघरे में खड़ा कर रही है.
डॉक्टर की जो रिपोर्ट है, हमने उस पर बात की है उत्तर प्रदेश सरकार के आरोप निराधार हैं. सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने जेल नियमों का हवाला दिया और कहा कि भले ही राज्य के पास मौलिक अधिकार नहीं है, लेकिन वह मुद्दे और पीड़ितों के अधिकारों का समर्थन कर सकता है और पीड़ित की भूमिका ले सकता है.
उन्होंने कहा कि यह कहना कि राज्य के पास मूलभूत अधिकार नहीं हैं, गलत है क्योंकि राज्य हमेशा पीड़ित और समाज की भूमिका का निर्वहन कर सकता है। मेहता ने कहा कि अंसारी ने जेल नियमों का उल्लंघन किया और पीड़ितों के अधिकार और राज्य को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है और आरोपी को निष्पक्ष सुनवाई बाधित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
वहीं मुख्तार अंसारी के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि कोई राज्य अनुच्छेद-32 के तहत दूसरे राज्य के खिलाफ नहीं आ सकता . उन्होंने कहा कि मौलिक अधिकार नागरिक का होता है, राज्य का नहीं.
वकील रोहतगी ने कहा कि यूपी सरकार पंजाब में चल रहा मुकदमा अपने पास ट्रांसफर करने की मांग भी नहीं कर सकती. पंजाब में जो केस हैं, वह पंजाब सरकार और मेरे बीच का मामला है.
यूपी का इसमें कोई रोल नहीं हो सकता. रोहतगी ने कहा कि अंसारी ने कहा है कि यूपी में उसकी जान को खतरा है. सुनवाई के दौरान वकीलों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.